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शीत लहर पर आस्था पड़ी भारी

मथुरा (वृंदावन): भले ही हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा हो, सड़क पर नंगे पांव चलने पर कंकड़ों की चुभन का भी उन

By Edited By: Published: Thu, 18 Dec 2014 06:46 PM (IST)Updated: Thu, 18 Dec 2014 06:46 PM (IST)
शीत लहर पर आस्था पड़ी भारी

मथुरा (वृंदावन): भले ही हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा हो, सड़क पर नंगे पांव चलने पर कंकड़ों की चुभन का भी उन्हें एहसास नहीं हो रहा था, कारण यह कि यमुना स्नान के बाद सीधे पंचकोसी परिक्रमा शुरू कर दी थी। पौष माह की कड़कड़ाती ठंड और पिछले तीन दिनों से चल रही शीतलहर में हजारों आस्थावान पुरुष और महिलाओं के शरीर शीत से शुन्न से हो रहे थे लेकिन प्रभु बांके बिहारी के प्रति आस्था में कोई कमी नहीं दिखाई दी।

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ऐसा नहीं कि इन्हें ठंड नहीं लग रही थी, लेकिन आस्थावानों में इसकी कतई परवाह नहीं दिखी। दोपहर ग्यारह बजे के करीब जगन्नाथ घाट के निकट कुछ महिलाएं सड़क किनारे जल रही फूंस के अलाव को देखकर रुक गयीं। कुछ ने कहा कि हाथ सेंक लें, और कुछ ही पलों में झुड आग के चारों ओर फैल गया।

-जाड़े के प्रभाव में कंकड़ों

का अहसास नहीं

राजस्थान के भरतपुर से आयीं महिलाओं राजावती, सुलोचना और रमावती ने बताया कि वे लोग कल ही वृंदावन आये। गुरुवार को सफला एकादशी पर उन लोगों ने परिक्रमा शुरू की तो पांव पूरे ठंडे पड़ गये हैं। हाथ आपस में रगड़कर वे किसी प्रकार परिक्रमा लगा रही हैं। पूछने पर कि क्या रास्ते में पड़े कंकड़ उन्हें दिक्कत तो नहीं दे रहे तो वे बोलीं कि जाड़े के मारे कुछ भी अहसास नहीं हो रहा।


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