सरहद पार फूटा दर्द कादरिया
जागरण संवाददाता, मथुरा: पाकिस्तान भले ही हम से दुश्मनी निभाएं। लेकिन जब चोट उन्हें लगी तो दर्द यहां
जागरण संवाददाता, मथुरा: पाकिस्तान भले ही हम से दुश्मनी निभाएं। लेकिन जब चोट उन्हें लगी तो दर्द यहां भी महसूस किया गया। मंगलवार को पाकिस्तान के पेशावर में तालिबानियों द्वारा मचाए गए कत्ल-ए-आम से आम भारतीय का हृदय द्रवित है। जो कल पाकिस्तान में हुआ वो आज यहां न हो, इसकी कल्पना से ही मांएं परेशान रहीं। अंजाने ही उनको अपने लाड़लों की चिंता सताती रही। संवेदनाओं का दरिया इतना उफना कि सरहद पार हुए हादसे में सहानुभूति की लहरें हर जगह उमड़ती दिखीं। स्कूलों में भी शोक सभाएं कर मासूमों की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की गई।
बुधवार को भले ही सूरज की किरणों ने रोज की तरह सुनहरी आभा बिखेरी, मगर माहौल जुदा-जुदा था। पेशावर के आर्मी स्कूल में आतंकियों द्वारा मासूमों की हत्या से सब गमगीन थे। रोज खुशी-खुशी स्कूल भेजने वाले परेशान थे। यहां भले ही चाक-चौबंद इंतजाम हैं, मगर पाक में हुए हादसे से लोग खुद को अलग नहीं कर पा रहे थे। चर्चाओं में सिर्फ यही था कि
लास्टिक की बंदूक से ही डरने वाले मासूमों पर आग उगलते हथियार को देख क्या बीती होगी? खुद को बचाने को नन्हीं जानें कैसे खुद में सिमट गई होंगी। गोलियो की तड़तड़ाहट से क्या नाजुक दिल दहला नहीं होगा। उन माताओं से पूछिए, जिन्होंने डांट-डपट कर अपने च्च्चे को स्कूल भेजा होगा। स्कूल में गोलियां पाकिस्तान में बरसाई गई लेकिन अनहोनी की दहशत यहां पर थी। च्च्चे को ऐसे स्कूल भेजा मानो किसी जंग में भेज रहे हों। स्कूलों में प्रार्थना सभा में भगवान को याद कर मासूमों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त की गई। उन आतंकियों को कोसा गया। ऐसा एक भी स्कूल नहीं रहा जहां पर मौन सभाएं, शोक श्रद्धाजंलि का सिलसिला न चला हो। स्कूल का माहौल पूरी तरह से संवेदनाओं से सराबोर रहा।
हिम्मत न हुई च्च्चो को स्कूल भेजने की
आगरा रोड निवासी श्वेता शर्मा ने तो बुधवार को अपने च्च्चों को स्कूल ही नहीं भेजा। कहती हैंपाक में हुई आतंकी घटना ने दिल दहला दिया है। बकौल श्वेता मैं तो उन माताओ की हालत की कल्पना करके ही परेशान हूं जिनके च्च्चे इस हादसे के शिकार बनाए गए हैं।
छुट्टी से पहले ही पहुंच गए स्कूल
शहर के तमाम स्कूलों में छुट्टी से पहले ही अभिभावकों की भीड़ लग गई थी। ये लोग अपने च्च्चे को लेने के लिए आए थे। लोग कह रहे थे कि अब माहौल का क्या भरोसा? ज्ञानदीप स्कूल पर आए राजकुमार का कहना था कि वो अब अपने च्च्चे को खुद ही स्कूल लाएंगे और ले जाएंगे।
झकझोरती रही सोशल मीडिया
मथुरा: पाक के आर्मी स्कूल में हुए आतंकी हमले में मारे गए पाकिस्तानी च्च्चों पर भारतीयों की संवेदनाएं हर ओर नजर आईं। फिर चाहे वो सोशल मीडिया हो या फिर सरकारी कार्यालय। बुधवार को पाकिस्तानी च्च्चों की मौत से हर कोई गमगीन नजर आया।
व्हाट्स एप समेत फेसबुक पर निदा फाजली की एक नज्म भी इस घटना से जोड़ते हुए खूब चल रही है, जिसमें कहा गया है कि 'नमाजी उठ-उठकर चले गए मस्जिदों से, दहशतगरों के हाथ में इस्लाम रह गया। हर बार ये इल्जाम रह गया, हर काम में कोई काम रह गया।' इसी प्रकार फेसबुक पर विमल कुमार मिश्रा ने लिखा है-'आज कुछ माएं टिफिन नहीं बांधेंगी, फिर कुछ च्च्चे घर नहीं जाएंगे।' ट्विटर पर एक ट्वीट हुआ है-'ये किसका लहू है, ये कौन मरा है?' एक और ट्वीट हुआ है-आज का दिन पाकिस्तान के लिए टर्निग प्वाइंट साबित होगा। इस बीच गुड़गांव और दिल्ली में बम रखे जाने की अफवाहें भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुर्इं।