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'मानकों' पर खरे नहीं उतरे 40 राजकीय और अ‌र्द्धशासकीय स्कूल

जागरण संवाददाता, मथुरा: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की बोर्ड परीक्षा के केंद्र निर्धारण में व

By Edited By: Published: Fri, 28 Nov 2014 11:21 PM (IST)Updated: Fri, 28 Nov 2014 11:21 PM (IST)
'मानकों' पर खरे नहीं उतरे 40 राजकीय और अ‌र्द्धशासकीय स्कूल

जागरण संवाददाता, मथुरा: उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद की बोर्ड परीक्षा के केंद्र निर्धारण में विभाग ने सारी शर्तो को ताक पर रख दिया है। जिन राजकीय और अर्धशासकीय विद्यालयों को प्राथमिकता पर रखना चाहिए था, उन्हें हाशिये पर धकेल दिया। ऐसे 40 स्कूल तो जिलाधिकारी की अध्यक्षता वाली परीक्षा केंद्र निर्धारण समिति के 'मानकों' पर खरे ही नहीं उतरे। जबकि वित्तविहीन विद्यालयों पर मेहरबानी की बरसात की गई है।

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बोर्ड परीक्षा केंद्र निर्धारण की नीति में राजकीय और वित्त पोषित विद्यालयों को प्राथमिकता देने का नियम है। इसके बाद जरूरत पड़ने पर ही वित्तविहीन विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया जाना चाहिए। जिले में कुल 169 बोर्ड परीक्षा केंद्रों में से वित्त विहीन 90 विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बना दिया गया है। जबकि 93 में से 74 वित्त पोषित विद्यालयों और 26 राजकीय विद्यालयों में से सिर्फ पांच को ही बोर्ड परीक्षा का केंद्र बनाया गया है। परीक्षा केंद्र निर्धारण समिति ने केंद्र के लिए आपत्तियां और दावे मांगे थे। गुरुवार तक 50 अन्य विद्यालयों ने परीक्षा केंद्रों के लिए दावा किया है। जबकि 20 स्कूलों ने परीक्षा केंद्र बनने से हाथ खड़े कर दिए।

हिम्मत नहीं होती परीक्षा कराने की

वित्तविहीन विद्यालयों का कॉकस इतना ठोस है कि बोर्ड परीक्षा का संचालन इनके इशारों से होता है। राजकीय और अर्धशासकीय विद्यालयों में परीक्षा केंद्र बनने पर दूसरे विद्यालयों के परीक्षार्थी आते हैं। इनसे नकल के नाम पर पहले ही ठेका ले लिया जाता है। जो विद्यालय इन्हें नकल नहीं करने देते, उनके लिए मुश्किलें पैदा की जाती हैं। लिहाजा तमाम विद्यालय परीक्षा संचालन के कटु अनुभव के कारण पीछे हट गए हैं।

पैसा डूबने की आशंका से खलबली

परीक्षा केंद्र निर्धारण में खेल का 'जागरण' ने शुक्रवार को खुलासा कर दिया था। जिससे तमाम स्कूल संचालकों की धड़कनें तेज हो गई। 'जागरण' के पास कई कॉल आई। कह रहे थे कि डीआइओएस डॉ. अरुण कुमार दुबे मथुरा में नहीं आए तो उनका तो पैसा डूब जाएगा। हालांकि उन्होने परीक्षा केंद्र बनाने के लिए रुपये किसे दिए, ये बताने से बचते रहे। अपने स्कूल को परीक्षा केंद्र बनवाने के लिए संचालक लखनऊ की दौड़ लगा रहे हैं। उन्हें अब लखनऊ बैठे अपने राजनीतिक आकाओं पर ही भरोसा रह गया है।

पैसा नहीं दिया तो नहीं बनाया सेंटर

छाता क्षेत्र के स्कूल संचालक योगेश ने 'जागरण' को बताया कि उनके स्कूल में बोर्ड परीक्षा के लिए जरूरी सभी साधन हैं। तहकीकात के लिए आए कानूनगो को उन्होंने लिखित में इसका हवाला दिया। इसके बाद भी उनके स्कूल को परीक्षा केंद्र नहीं बनाया गया। योगेश का कहना था कि हमने रुपये नहीं दिए इसलिए हमारे स्कूल को केंद्र नहीं बनाया। किसने, कितना रुपया मांगा था के सवाल पर वो चुप्पी साध गए।

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शनिवार को आएंगे डीआइओएस

प्रभारी डीआइओएस एसपी शर्मा ने बताया कि डीआइओएस डॉ. अरुण कुमार दुबे शुक्रवार तक अवकाश पर हैं। शनिवार को वह कार्यालय ज्वाइन कर सकते हैं।

कोई गड़बड़ी नहीं होने देंगे

जिलाधिकारी राजेश कुमार ने कहा है कि बोर्ड परीक्षा केंद्र बनने में कोई गड़बड़ी नहीं होने दी जाएगी। हर शिकायत पर जांच होगी। दोषियों पर कार्रवाई भी की जाएगी।


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