ग्राम पंचायत निधियों में गोलमाल की धीमी जांच
जागरण संवाददाता,एटा: ग्राम पंचायतों की निधि में किए गए फर्जीबाड़े के कई मामलों की जांच दो साल से भी ज्यादा समय से लंबित पड़ी हैं जो पूरी नहीं हो पा रहीं। कोई शिकायत फर्जी बिलों के चलते धन निकालने की है तो कोई शिकायत फर्जी हस्ताक्षर कर धन हड़पने, फर्जी मनरेगा के भुगतानों में धांधली से संबंधित हैं।
शासन स्तर से ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए मोटी रकम खर्च की जा रही है। लेकिन इससे संबंधित मशीनरी इसे पलीता लगाते हुए जरूरतमंद लोगों को इसका लाभ नहीं मिलने दे रही। चाहे एटा हो या कासगंज, दोनों क्षेत्रों में सैकड़ों लंबित मामलों की लंबी फेहरिस्त है। पिछले वर्ष मारहरा विकास खंड की ग्राम पंचायत सिरसा बदन धांधली सामने आई। ग्राम पंचायत अधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा कि ग्राम निधि के खाते से दो लाख रुपए का का गोलमाल किया है इसे लेकर डीपीआरओ डीपी सरोज ने ग्राम पंचायत अधिकारी को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। दूसरी बार फिर जांच हुई जो अभी तक पूरी नहीं हो सकी है।
तहसील दिवसों पर गबन की शिकायतें
वर्ष 2014 में गांवों में फर्जीवाड़े की सबसे ज्यादा शिकायतें तहसील दिवसों पर आई। औसतन प्रत्येक तहसील दिवस पर एक तहसील में जितनी शिकायतें आती हैं उनमें चार -छह शिकायतें ग्राम पंचायतों में फर्जी बाड़े से संबधित होती हैं। एक -एक मामला लाखों की रकम से जुड़ा है।
ठंडे बस्ते में शिकायत
कासगंज की पंचायत गोपालपुर के ग्रामीणों ने प्रधान के विरुद्ध फर्जी तरीके से मनरेगा की मजदूरी अपने सगे संबंधियों के नाम से निकालने की शिकायत की थी। मामले की जांच चली मगर कुछ समय बाद मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
विकास निधि का दुरपयोग
सकीट ब्लाक के गांव नकटपुर में कर्मचारियों द्वारा ग्राम विकास निधि का दुरुपयोग किया गया। जलेसर क्षेत्र में शकरौली, बेरनी, कोसमा,बरिगवां मारहरा में हुसैनपुर, में धन गवन की शिकायतें फरवरी 2014 में तहसील दिवसों पर सामने आई, जो अभी भी लंबित हैं। 2014 की 67 शिकायतें लंबित हैं। गवन के मामलों में दर्जन भर कर्मचारी निलंबित किए जा चुके हैं तथा इतने ही प्रधानों के खिलाफ कार्रवाई हो चुकी है। पिछली समीक्षा बैठक में लंबित जांच के मामलों को निपटाने के निर्देश जिलाधिकारी सेल्वा कुमारी जे ने दिए थे। प्रमुख सचिव का दौरा जुलाई माह में प्रस्तावित था मगर वह किन्हीं कारणोंवश रद्द हो गया। प्रमुख सचिव की बैठक में लंबित जांचों की समीक्षा भी होनी थी। अब लंबित मामलों की मानीटरिंग के लिए प्रदेश स्तर पर मानीटरिंग कमेटी बनाई गई है। जिसमें दो अधिकारी शासन से तथा दो जिले से शामिल किए गए हैं। एडीएम प्रशासन लालमणि का कहना है सभी तरह की लंबित जांचें समय सीमा के अंतर्गत पूरी की जाएं। जांच में शिथिलता पाए जाने पर जांचकर्ता के विरुद्ध कार्रवाई हो सकती है। ऐसे मामलों की जिला से लेकर शासन स्तर तक निगरानी हो रही है।