डूडा: रिटायर्ड पालिकाकर्मी ने जेब में ठूंस ली थी रकम!
जागरण संवाददाता, मथुरा: बेसिक सर्विसेज अरबन पूअर (बीएसयूपी) योजनांतर्गत राधेश्याम कालोनी में गरीबों के मकान बनाने में हुए घोटाला प्रकरण में मथुरा नगर पालिका के सेवानिवृत्त राजस्व लिपिक का नाम भी सामने आ रहा है।
इस योजना के तहत सरकार ने वर्ष 2009 में राधेश्याम कॉलोनी में 88. 10 करोड़ की धनराशि से 2018 मकान बनाने की स्वीकृति दी थी। मार्च 2011 तक 1700 लाभार्थियों का चयन कर इसमें से डेढ़ सौ मकान बनने शुरू हो गए। योजना की शर्त यह थी कि वे किसी मलिन बस्ती के मूल निवासी हों, भूखंड मालिक हों, बीपीएल दायरे में हों। ये मकान आवेदकों से 22 हजार रुपये का अंशदान लेकर उन्हीं के स्वामित्व वाली जमीनों पर बनाये जाने थे। लेकिन डूडा के तत्कालीन कर्मियों ने राधेश्याम कॉलोनी में एक ही प्लॉट (गाटा संख्या 205-206) पर 90 मकान एक साथ पंक्तिबद्ध निर्माण करा दिए।
डूडा के दफ्तर में इन कथित गरीबों से जुड़ी पत्रावलियों की खोजबीन शुरू हुई, तो 90 में से सिर्फ 80 गरीबों के केवल अंशदान की रसीद ही मिली। मगर उनकी जमीन आदि से संबंधित कागजात नहीं मिले। इस प्रकरण में पिछले माह आठ कर्मियों के खिलाफ रिपोर्ट लिखाई गई थी। इस प्रकरण की तहकीकात में नगर पालिका के सेवानिवृत्त राजस्व लिपिक पूरनमल अग्रवाल का नाम भी सामने आ रहा है।
प्रकरण में डूडा की तत्कालीन परियोजना अधिकारी अंजू सिंह ने अपर जिलाधिकारी व परियोजना निदेशक डूडा को दिसंबर वर्ष 2011 में जो लिखित जवाब दिया था कि डूडा में विभागीय कर्मचारियों के अभाव के कारण बतौर लेखाकार नगर पालिका के कर्मचारी पूरनमल अग्रवाल 5 साल से डूडा के सभी लेखा संबंधी कार्य देख रहे थे। बतौर अंजू सिंह इस योजना में 31 मार्च 2011 तक 4 करोड़ 93 लाख 17 हजार 300 रुपये की रसीदें जारी की गई थीं। लेकिन इनमें से 49211300 रुपये ही जमा कराए गए। इसी तरह डूडा के विभिन्न योजनाओं में विक्रय किये गये आवेदन पत्रों से प्राप्त करीब साठ हजार धनराशि का जमा नहीं कराये गये हैं। जवाब में अंजू सिंह ने एडीएम को बताया था कि इस तरह कुल 1.66 लाख रुपये को तत्कालीन लेखाकार पूरनमल और लिपिक द्वारा जमा नहीं कराए गए।
रसीदें निरस्त कैसे कर दीं
डूडा की तत्कालीन परियोजना अधिकारी अंजू सिंह ने अपर जिलाधिकारी व परियोजना निदेशक डूडा को लिखित में बताया कि बैंक खातों में लाभार्थियों के अंशदान के 49211300 रुपये जमा हुए थे तथा 1866500 रुपये धनराशि की रसीदें निरस्त कर दी गई। सवाल है कि डीएम की अनुमति के बगैर डूडा की तत्कालीन परियोजना अधिकारी ने रसीदों को निरस्त कैसे कर दिया? इस बारे में डूडा के परियोजना अधिकारी एसवी सिंह ने बताया कि डीएम ने इस प्रकरण की जांच के लिए शासन को भी लिखा है।