मानसून के नहीं नामोनिशान, नहर-रजवाहे सूखे
जागरण संवाददाता, मथुरा: कुदरत और प्रशासनिक व्यवस्थाएं दोनों ही इस बार किसान के धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं। कुदरत मानसून नहीं आने दे रहा तो व्यवस्थाएं नहर-रजवाहों में पानी नहीं आने दे रही हैं। नतीजा किसान को भुगतना पड़ रहा है। बिना बारिश और नहरों में पानी के किसानों की खरीफ की फसलों की बुवाई नहीं हो पाई है। थोड़े बहुत खेतों में बुवाई हो भी चुकी है, वह साधन संपन्न किसानों ने अपने निजी संसाधनों से सिंचाई की है।
मानसून लगभग एक पखवाड़े पहले ही आ जाना चाहिए था, सरकार सूखा पड़ने का अनुमान लगा रही हैं। लेकिन फिर भी नहर-रजवाहों के हलक सूखे हुए हैं। कुछ रजवाहों में पानी है भी वह नाकाफी है। ट्यूबवेल से खेतों की सिंचाई बेहद महंगी पड़ रही है। ऐसे में किसान अपने खेतों में खरीफ की फसल बोएं तो कैसे। खरीफ की फसलों में बाजरा, ज्वार, तिल, उड़द, अरहर, धान, मक्का, कपास आदि की बुवाई महज दो-चार फीसद ही हुई है।
गोवर्धन रोड स्थित गांव भूतपुरा के जागरूक किसान व रिटायर्ड प्रोफेसर डा. नबाव सिंह कहते हैं कि कुदरत ही नहीं सरकारें भी हाथ पर हाथ रखे बैठी हैं। आगरा नहर में पानी बहुत ही कम चल रहा है, इससे जुड़े रजवाहे बुखरारी रजवाह, शेरगढ़ रजवाह, सहार रजवाह आदि सूखे पड़े हुए हैं। अगर यही स्थिति रही तो किसान क्या तो पैदा करेगा और क्या खाएगा। वह बताते हैं कि खरीफ की फसलों की बुवाई का समय निकलता जा रहा है। मुड़सेरस के किसान खजान सिंह बताते हैं कि गोवर्धन ड्रेन काफी समय से सूखी पड़ी हुई है, ज्वार-बाजरा, तिल, उड़द-मूंग आदि की बुवाई नहीें हो पाई है। ज्यादातर खेत खाली पड़े हुए हैं। एक अच्छी तरह बारिश भी नहीं हुई है, जिससे खेत में बुवाई हो जाती। थोड़े बहुत किसानों ने अपने ट्यूबवेलों से खेतों की पलेवा कर फसल बो भी दी हैं, लेकिन आगे सिंचाई के बगैर बोई हुई फसलें भी सूखने के कगार पर हैं।
सेरसा गांव के किसान रोहन सिंह कहते हैं कि उनके क्षेत्र में खरीफ की मुख्य फसल धान है, लेकिन बरसात न होने के कारण धान की नर्सरी खेतों में कुमला रही है। किसान अपने निजी संसाधानों से किसी तरह नर्सरी को जिंदा रखे हुए हैं, लेकिन जब तक जोरदार बारिश नहीं हो जाती तब तक धान की पौध की रोपाई संभव नहीं है।
जनपद में खरीफ की फसलों का रकबा
फसल लक्ष्य बोया क्षेत्रफल
धान 53181 224
धान नर्सरी 3545 3552
मक्का 146 146
ज्वार 39 30
बाजरा 43712 62
उर्द 152 00
मूंग 33 00
अरहर 1770 1770
कपास 9100 9100
तिल 424 00
(फसलों के आंकड़े हेक्टेयर में हैं।)
कहते हैं अधिकारी
जिला कृषि अधिकारी डिपिन कुमार कहते हैं कि जहां सिंचाई के साधन उपलब्ध हैं, वो किसान धान की रोपाई कर सकते हैं, लेकिन जिन किसानों के पास नहर, ट्यूबवेल आदि का संसाधन नहीं है वो बारिश का इंतजार कर सकते हैं। वैसे अभी खरीफ की फसलों की बुवाई लेट नहीं हुई है। ये फसलें 31 जुलाई तक बोई जा सकती हैं।