वोटों की चिंता, वोटरों की नहीं
जागरण संवाददाता, मथुरा, (वृंदावन): सालों से जर्जर सड़क, गढ्डे और बदतर विद्युत व्यवस्था को चुनावी दंगल में सभी दलों ने नजरंदाज कर दिया है। राष्ट्रीय मुद्दों की बात कर रहे इन दलों को आम जनता के दर्द से चुनाव में भी कोई सरोकार नहीं।
शहर की जर्जर सड़क और बदतर विद्युत व्यवस्था से आजिज आम लोगों को चुनावों के दौरान इन मुद्दों पर राजनीतिक दलों की चुप्पी सताने लगी है। सालों से गड्डायुक्त सड़कों पर जान हथेली पर लेकर सफर कर रहे लोगों के मुद्दे राजनेताओं ने ठंडे बस्ते में डाल दिए हैं। धार्मिक नगरी होने के कारण देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु हर महीने वृंदावन आते हैं। यहा पसरी अव्यवस्था और सड़कों की हालत देख वह भी व्यथित होते हैं। धार्मिक नगरी की सड़कों पर सुरक्षित सफर करना संभव नहीं। कब कहा गढ्डा आ जाये और वाहन क्षतिग्रस्त हो जाये कोई नहीं जानता।
ऐसे में चुनावी दौर ही ऐसा होता है जब राजनेता और उनके दलों को समस्याओं की याद आती है। लेकिन संसद की राह आसान करने में जुटे सभी राजनीतिक दलों के नुमाइंदों को आम जनमानस की चिंता नहीं दिखायी दे रही। पिछले चार दिनों से ठप पड़ी बिजली व्यवस्था पर सभी राजनीतिक दल खामोशी साधे रहे।
ऐसा नहीं कि धार्मिक नगरी वृंदावन में केवल श्रद्धालु ही दर्शन को आते हैं। दिल्ली की सत्ता के गलियारों से महीने में दर्जनों मंत्री, आला अधिकारी बाकेबिहारी के दर्शन करने आते हैं। ऐसा ही हाल हर राजनीतिक दल का है। जिसके आला नेता बाकेबिहारी की शरण में अपनी तरक्की की कामना करने आते हैं। लेकिन बाकेबिहारी मंदिर तक पहुंचने में होने वाली दिक्कतों पर शायद उनकी नजर ही नहीं पड़ती।
गंगा-यमुना की रक्षा करने वाले को समर्थन
पुरानी कालीदह स्थित अखंड दयाधाम में षड़दर्शन महंत सेवा समिति के पदाधिकारियों की बैठक हुई। इसमें धर्म का संरक्षण, गंगा-यमुना व पवित्र नदियों को प्रदूषण मुक्त तथा वृंदावन तीर्थनगरी घोषित कराने वाले प्रत्याशी को समर्थन देने का निर्णय लिया गया। बैठक में स्वामी भास्करानंद, स्वामी प्रकाशानंद, स्वामी सच्चिदानंद, विवेकानंद, परमानंद, स्वामी अद्धैतमुनि, संतोष पुजारी, लाड़लीदास, महंत सुदरदास, जगन्नाथदास, सत्यहरीदास आदि मौजूद रहे।