आशियाने तोड़े तो बजा देंगे ईट से ईट
जागरण संवाददाता, मथुरा, (वृंदावन): नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के फैसले से यमुना किनारे बसे लोगों की जिंदगी में भूचाल आ गया है। वर्षो से अपने परिवार के साथ यहा रहे रहे लोग अपने आशियाने तोड़े जाने के डर से घबराए हुए हैं। बाशिंदों ने चेतावनी दी है कि यदि आशियाने तोडे़ गए तो वह प्रशासन की ईट से ईट बजा देंगे।
यमुना किनारे सूरज घाट पर बनी आवासीय कॉलोनी घनश्याम वाटिका में लगभग सौ से अधिक घरों में हजारों लोग कई दशक से रह रहे हैं। कॉलोनी में बिजली, पानी, सीवर आदि की सभी सुविधाएं सरकारी महकमों द्वारा लोगों को लंबे समय से दी जा रही हैं। यहा के निवासी सरकारी सुविधाओं बिजली, पानी व सीवर के बिलों का भुगतान भी करते आ रहे हैं। सड़कों पर स्ट्रीट लाइटें, घरों में बिजली के कनेक्शन, पालिका की पेयजल व सीवर लाइनों के साथ सरकारी सड़क, खड़ंजे फिर भी यह कॉलोनी अवैध बताई जा रही हैं। लोग परेशान हैं कि जिंदगी भर की कमाई से उन्होंने घर बनाए। इन्हें तोड़ने का फरमान देने वाली कोर्ट दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं करती। जिन्होने यहा आबादी क्षेत्र घोषित कर प्लाट काटने की अनुमति दी।
इनका दर्द
-आठ साल से कॉलोनी में रह रहे ट्रैवल्स संचालक बिजेंद्र शर्मा का कहना है कि मेहनत की कमाई से बने घरों को तोड़ने की नौबत आई तो वह अपनी जान कुर्बान करने से भी पीछे नहीं हटेंगे। सरकार अपनी गलती का ठीकरा गरीबों पर फोड़ने जा रही है।
-कॉलोनी निवासी गृहणी शिल्पी नतकर का कहना है कि जिंदगी में एक बार घर बनाने में ही सारी कमाई खप जाती है। सरकार पहले हमें मकान बनाकर दे, तब हमें यहा से बेदखल करने की बात करे।
- खेती कर परिवार का गुजारा कर रहे कॉलोनी निवासी हनुमान निषाद ने कहा कि पिछले 15 साल से यहा रह रहे हैं। बिजली का बिल देते हैं, नगर पालिका का टैक्स देते हैं, नक्शा भी मकान का पास करवाया है, तो कॉलोनी अवैध कहा से हुई। अगर मकान तोड़े गए तो लोग सड़क पर उतरकर विरोध करेंगे।
-ठेकेदारी का कार्य कर रहे लोकेश निषाद ने कहा कि सरकारी दफ्तरों में टैक्स जमा करने जाते हैं, तब उन्हें यह कॉलोनिया अवैध नहीं दिखाई देतीं। इन्हें तोड़ने का प्रयास भी हुआ तो प्रशासन को भारी विरोध झेलना पड़ेगा।
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