100 शैय्या का अस्पताल, दवाओं का बजट गायब
जागरण संवाददाता, मैनपुरी : मां और बच्चे को चौबीस घंटे उपचार देने के लिए 100 शैय्या वाले मा
जागरण संवाददाता, मैनपुरी : मां और बच्चे को चौबीस घंटे उपचार देने के लिए 100 शैय्या वाले मातृ एवं शिशु चिकित्सालय का निर्माण कराया गया। मगर, आधुनिक सुविधाओं से लैस इस अस्पताल का हाल देखिए। न तो फर्नीचर हैं और न ही दवाओं का बजट। सिर्फ तीन विशेषज्ञों को तैनात कर शासन ने पल्ला झाड़ लिया। स्थिति यह है कि एक हाल में चिकित्सकों को बैठकर महिला अस्पताल से आई उधार की दवाओं के बूते बच्चों का उपचार कराया जा रहा है। महिला अस्पताल परिसर में शासन ने 100 शैय्या वाले मातृ एवं शिशु चिकित्सालय का निर्माण कराया है। जिले के सबसे अत्याधुनिक भवन में सभी प्रकार के आवश्यक उपकरणों के अलावा हाइटेक चिकित्सीय सुविधाएं भी उपलब्ध कराई गईं। मगर, अब तक इन सुविधाओं का लाभ मरीजों को नहीं मिला है। शासन स्तर से यहां डॉ. देवेंद्र कुमार शाक्य (वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ), डॉ. आरके मिश्रा (चिकित्सा अधीक्षक) और डॉ. अभिषेक द्विवेदी को तैनाती की गई है।
मगर, उपचार के लिए दवाओं का बजट ही उपलब्ध नहीं कराया गया है। स्थिति यह है कि महिला अस्पताल से मिल रहीं उधार की दवाओं के बूते डॉक्टर महिलाओं और बच्चों का उपचार कर रहे हैं। चिकित्सकों को बैठने के लिए कक्ष भी उपलब्ध नहीं हो पाए हैं। पंजीकरण काउंटर हाल में ही उन्हें उपचार करना पड़ रहा है। प्रतिदिन यहां एक सैकड़ा मरीज पहुंचते हैं, लेकिन व्यवस्थाओं के अभाव में चिकित्सक सिर्फ दवा लिखकर ही राहत दे पा रहे हैं।
ये है मेटरनिटी ¨वग की स्थिति
विशेषज्ञ स्वीकृत पद उपलब्धता
स्त्री रोग तीन एक
बाल रोग तीन एक
निश्चेतक तीन शून्य
ईएमओ छह एक
पैथोलॉजिस्ट एक शून्य
रेडियोलॉजिस्ट एक शून्य
फार्मेसिस्ट छह छह
स्टाफ नर्स 27 शून्य
इनका कहना है
शासन को पूरी स्थिति से अवगत कराया जा चुका है। चिकित्सकों और आवश्यक दवाओं को लेकर मांग भी की गई है लेकिन बजट न होने की बात कहकर मना कर दिया गया। जो चिकित्सक या स्टाफ तैनात है, सिर्फ उनके वेतन का ही बजट दिया जा रहा है। न तो फर्नीचर का बजट मिला है और न ही दवाओं का। अस्पताल से ही दवाएं भेजी जा रही हैं। जिनसे मरीजों को राहत दी जा रही है। यदि ¨वग चालू हो जाती है, तो महिला मरीजों के लिए सबसे बड़ी राहत होगी।
डॉ. हरिदत्त नेमी
मुख्य चिकित्सा अधीक्षक
महिला अस्पताल