दैनिक उपयोग की वस्तुओं में बढ़ा प्लास्टिक का दखल
बेवर (मैनपुरी): घर से लेकर खेत खलिहान तक औजारों से लेकर मशीनों तक प्लास्टिक ने मजबूती के साथ अपने पैर जमा लिए हैं।
यह अलग बात है कि प्लास्टिक को लेकर पर्यावरणविद और उच्च न्यायालय इसके बढ़ते कदमों को थामने के लिए दिशा निर्देश जारी कर चुके हैं।
अब हाथ में झोला लेकर बाजार से सब्जी खरीद कर लाना गुजरे जमाने की बात हो गई है। भले ही आप दो रुपये की सब्जी खरीदें दुकानदार आप को कैरी बैग में सब्जी डाल कर थमा देगा। बात जब प्लास्टिक की आती है तो दैनिक उपयोग के किसी भी क्षेत्र में अब प्लास्टिक से निर्मित उपकरण तथा संसाधन थैली पाउच मिल ही जाएंगे। खराब या निष्प्रोज्य होने के बाद यही प्लास्टिक पुन: कबाड़िये के यहां होते हुए रिसाइकिलिंग के लिए मशीनों पर पहुंच रही है। प्लास्टिक से पर्यावरण को भारी हानि हो रही है। इनसे निकलने वाली गैसों का बुरा प्रभाव पड़ रहा है। अब तो खेत खलिहान तक में इस प्लास्टिक ने अपनी पहुंच बना ली है। जो भूसा गांव में किसानों और पशुपालकों की बुखारी में भर कर सुरक्षित रखा जाता था अथवा जिसे घासफूस और लकड़ियों तथा बांस के साथ कूप बना कर सुरक्षित रख लिया जाता था। आज वही भूसा भी प्लास्टिक की रेडी मेड बुखारियों में भरा जाने लगा है। मशीनीकरण के युग में प्लास्टिक ने अन्य धातुओं को मजबूती के साथ टक्कर दी है। पर्यावरणविद और समाज सेवियों ने मांग उठाई है कि प्रशासन इस बढ़ते प्लास्टिक उपयोग पर ध्यान दे अन्यथा एक दिन ऐसा आएगा कि यही प्लास्टिक जीवन के लिए गंभीर चुनौती बन कर सामने आएगी
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