अधिवक्ता भवन की 'मरम्मत' में आठ लाख खुर्द-बुर्द
जागरण संवाददाता, मैनपुरी: अधिवक्ता भवन की मरम्मत के नाम पर करीब आठ लाख रुपया खुर्द-बुर्द कर दिया गया
जागरण संवाददाता, मैनपुरी: अधिवक्ता भवन की मरम्मत के नाम पर करीब आठ लाख रुपया खुर्द-बुर्द कर दिया गया। जांच के लिए तमाम पत्राचार के बाद भी कार्यदायी संस्था पैक्सफेड ने खामोशी ओढ़ ली। दो साल से जांच की फाइल ही दबा दी गई है।
अधिवक्ता भवन की मरम्मत के लिए वर्ष 2013 में 8.27 लाख रुपये शासन ने अवमुक्त किए थे। पैक्सफेड को काम मिला। भवन की आधी ही पुताई ही कराई गई। दो साल तक अधिवक्ता इंतजार करते रहे, लेकिन मरम्मत की प्रक्रिया आगे ही नहीं बढ़ी। 29 अप्रैल 2015 को जिला बार एसोसिएशन के तत्कालीन अध्यक्ष दिनेश यादव ने जिलाधिकारी को शिकायत देकर मरम्मत की धनराशि में घोटाले का आरोप लगाया। अधिवक्ताओं ने जब खुद ही कार्यदायी संस्था के अभियंता से बात की, तो पता चला कि मरम्मत का काम पूरा बताकर अधिकारियों को आख्या भी भेज दी गई, जबकि हकीकत में मरम्मत कराई ही नहीं गई।
शिकायत पर तत्कालीन जिलाधिकारी चंद्रपाल ¨सह ने अधिशाषी अभियंता पीडब्ल्यूडी को जांच सौंप दी। तीन अभियंताओं की टीम बनाकर जांच करने के निर्देश दिए गए। टीम को जांच के दौरान अधिवक्ता भवन के दरवाजे, खिड़कियां और फर्श टूटे मिले। दीवारें दरकी हुई थीं। जांच रिपोर्ट के आधार पर व्यय धनराशि की स्थिति जानने को पीडब्ल्यूडी के अफसरों ने पैक्सफेड के परियोजना प्रबंधक से पत्राचार किया। कई बार पत्राचार होने के बाद भी पैक्सफेड ने पीडब्ल्यूडी को अभिलेख नहीं दिए। धीरे-धीरे जांच की फाइल ही दबा दी गई।
----
आंदोलन की राह पर अधिवक्ता
अधिवक्ता भवन की मरम्मत में गोलमाल को लेकर अब अधिवक्ता आंदोलन की राह पर हैं। जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष संजीव यादव ने दो साल में भी जांच पूरी न होने पर नाराजगी जताई। कहा कि मरम्मत के नाम पर लाखों का घपला किया गया है। अधिवक्ता इसके लिए आंदोलन करेंगे।
----
'कार्यदायी संस्था द्वारा जांच के लिए अभिलेख उपलब्ध नहीं कराए गए हैं, इसलिए मामला लंबित है। अब फिर से पत्राचार कर अभिलेख मांगे जाएंगे। अभिलेख मिलते ही जांच आगे बढ़ाई जाएगी।'
डीके चौधरी , अधिशाषी अभियंता लोक निर्माण विभाग प्रांतीय खंड