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जिला अस्पताल के ओपीडी पर्चे में एक 'बीमारी'

जागरण संवाददाता, मैनपुरी : केस-1 भोगांव थाना क्षेत्र के गांव जगतनगर निवासी तनिष्का (6) पुत्री

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 Apr 2017 08:49 PM (IST)Updated: Thu, 27 Apr 2017 08:49 PM (IST)
जिला अस्पताल के ओपीडी पर्चे में एक 'बीमारी'
जिला अस्पताल के ओपीडी पर्चे में एक 'बीमारी'

जागरण संवाददाता, मैनपुरी :

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केस-1

भोगांव थाना क्षेत्र के गांव जगतनगर निवासी तनिष्का (6) पुत्री अमर प्रताप कान के दर्द से परेशान है। गुरुवार को पिता के साथ अस्पताल पहुंची। पंजीकरण काउंटर पर जो पर्चा बनाया बच्ची का नाम तो गलत लिखा ही, उसके निवास का कॉलम भी खाली छोड़ दिया। यही विवरण ओपीडी रजिस्टर में दर्ज कर लिया।

केस-2

जिला एटा के गांव ढ¨ठगरा निवासी भूप ¨सह (55) रिश्तेदारी में मैनपुरी आए थे। आवारा कुत्ते के काटने से जख्मी हो गए। जिला अस्पताल में पर्चा बनवाया। कर्मचारी ने पता वाले कॉलम में एटा लिखने के बजाए मैनपुरी लिखकर छोड़ दिया। 55 की उम्र को 35 लिख दिया।

केस-3

भोगांव थाना क्षेत्र के गांव छाछा निवासी पूनम (20) पत्नी राजेश इंफेक्शन से परेशान हैं। गुरुवार को जिला अस्पताल में पर्चा बनवाया। पर्चे में सिर्फ भोगांव लिख रजिस्टर पर भी दर्ज कर दिया।

केस-4

शहर के राजा का बाग निवासी सुमित (7) पुत्र कप्तान सिर में चोट लगने से घायल है। वह भी गुरुवार को अस्पताल पहुंचा। पर्चे पर सुमित के स्थान पर सुमेज नाम लिख दिया गया। राजा का बाग किस जिले में है, इसका कॉलम खाली छोड़ दिया।

जिला अस्पताल में एक रुपये के ओपीडी पर्चे के नाम पर पंजीकरण में इसी तरह की अंधेरगर्दी की जा रही है। सरकारी पर्चे पर दर्ज मरीज का नाम-पता अस्पताल के रिकॉर्ड रजिस्टर से मेल ही नहीं खाता। किसी भी स्थिति में मरीज को कोई जरूरत पड़ने पर अस्पताल प्रशासन अपने गलत रिकॉर्ड दर्शाकर बड़ी आसानी से बच जाता है। जिला अस्पताल में ओपीडी के लिए रोजाना करीब डेढ़ हजार पंजीकरण होते हैं। पंजीकरण काउंटर पर मौजूद कर्मचारियों द्वारा अधिकांश मरीजों के नाम और उनके पते दर्ज करने में लापरवाही की जाती है।

बॉक्स.

.तो कहां जाएंगे मरीज:: एक रुपये का पर्चा बनवाने के बाद ही मरीजों को डॉक्टर के पास भेजा जाता है। मर्ज से संबंधित दवाएं भी पर्चे पर ही लिखी जाती हैं। यदि उपचार में लापरवाही से किसी मरीज की ¨जदगी खतरे में पड़त है तो अस्पताल प्रशासन अपना पल्ला झाड़ लेगा। मरीज के पास मौजूद पर्चे और रिकॉर्ड में दर्ज नाम से मरीज का वास्तविक नाम मेल ही नहीं खाएगा। ऐसे में अस्पताल प्रशासन यह कहकर बच जाएगा कि जिस मरीज का उपचार यहां हुआ है, वो ये नहीं है।

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चिकित्सक भी करते हैं लापरवाही:: मरीजों के बारे में पूरी जानकारी रिकॉर्ड में मौजूद रहे, इसके लिए सरकारी पर्चे में मरीज की बीमारी, उसकी पुरानी बीमारी, परिवार के सदस्यों का विवरण, क्या दवा लिखी गई और किस चिकित्सक ने उपचार दिया। इसका भी स्पष्ट विवरण होना चाहिए। लेकिन, चिकित्सकों द्वारा भी अधूरे रिकॉर्ड भरकर अपना पल्ला झाड़ा जा रहा है।

स्पष्ट निर्देश हैं कि मरीज के पर्चे पर उपलब्ध प्रत्येक कॉलम को नियमानुसार भरा जाए। यदि पंजीकरण में त्रुटि हो रही है तो बेहद गंभीर मामला है। इसकी जांच कराई जाएगी।

डॉ. एके उपाध्याय

मुख्य चिकित्सा अधीक्षक

जिला चिकित्सालय।


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