जहां नारी का सम्मान वहां लक्ष्मी का वास
संवाद सूत्र, बेवर : मातृ शक्ति की पूजा-अर्चना आदिकाल से चली आ रही है, हमारे धर्मशास्त्र, पुराण, उपनि
संवाद सूत्र, बेवर : मातृ शक्ति की पूजा-अर्चना आदिकाल से चली आ रही है, हमारे धर्मशास्त्र, पुराण, उपनिषद, वेद और महाग्रंथ नारी शक्ति की अहमियत को बखान करते आए हैं। जीवन रूपी गाड़ी चलाने के लिए स्त्री और पुरुष रूपी दो पहियों का समान स्थान है। जिस प्रकार एक पहिया अलग होते ही गाड़ी का संचालन असंभव है। उसी प्रकार जीवन रूपी रथ कुशलता के साथ चलाने के लिए नारी और पुरुष में समान भाव होना अतिआवश्यक है। ये है कि जिस घर में स्त्री का सम्मान होता है, वहां लक्ष्मी का वास हेाता है।
ये बातें नगला ठकुरी में पंडित विनोद चतुर्वेदी महाराज ने कहीं। कृष्ण भगवान के राधारानी से अगाध प्रेम की चर्चा करते हुए कहा हमारे शास्त्रों में भी पुरुष नाम से पहले नारी नाम को प्राथमिकता दी गई है। राधारमण, राधेश्याम, सीताराम, जानकी बल्लभ, सियाराम जैसे उद्बोधन को देकर इंगित किया गया है कि किसी भी काम को करने से पहले नारी शक्ति की पूजा उसका यशेागान करना कितना आवश्यक है। मातृ शक्ति ही एक ऐसी शक्ति है जिसके द्वारा संतति कायम है। आज हम कन्या का उदर में ही भ्रूण नष्ट कर पाप कर रहे हैं। जब कन्या ही नहीं होगी तो फिर बेटा किसके उदर से आएगा, यह सोचने की आवश्यकता है। विवाह एक पवित्र बंधन है, जिसकी कीमत नहीं लगाई जा सकती, लेकिन आज के भौतिक युग में हम विवाह में दहेज की मांग कर इस पवित्रता को भी नष्ट कर रहे हैं। समाज से इन कुरीतियों को दूर करने का ही स्पष्ट संदेश श्रीमद् भागवत महापुराण में दिया गया है।