जर्जर आवासों में गुजरती है रात
जागरण संवाददाता, मैनपुरी : 24 घंटे की ड्यूटी और रहने को ठीक से आवास तक नहीं। ये हाल पुलिसकर्मियों
जागरण संवाददाता, मैनपुरी :
24 घंटे की ड्यूटी और रहने को ठीक से आवास तक नहीं। ये हाल पुलिसकर्मियों का है। दिनरात ड्यूटी के बाद भी न रहने को पर्याप्त इंतजाम हैं और न ही छुट्टी मिल पाती है। अनुशासन की डोर से बंधे पुलिसकर्मी उसकी शिकायत भी नहीं कर पाते।
जिले में करीब 900 पुलिसकर्मी तैनात हैं। पुलिसकर्मियों को लगातार ड्यूटी करनी पड़ती है, लेकिन उनके पास संसाधनों का अभाव है। पुलिसकर्मियों की संख्या संख्या के बराबर आवास नहीं हैं। जो आवास हैं भी, वे इतने पुराने हैं कि जर्जर स्थिति में पहुंच गए हैं। कई आवासों की छतों में दरारें पड़ गई हैं। दीवारों के प्लास्टर टूट गए हैं और फर्श उखड़ गई हैं। पुलिसकर्मियों के परिवार इन्हीं घरों में किसी प्रकार अपनी गुजर करते हैं। कुछ दिन पहले ही शासन ने पुलिस लाइंस में 26 नए आवास बनाने के लिए धन जारी किया था लेकिन आचार संहिता लागू हो जाने के कारण काम शुरू नहीं हो सका।
कागजों में सिमटी अवकाश की योजना
कुछ माह पहले सरकार ने पुलिसकर्मियों को नियमित छुट्टी देने की योजना बनाई थी लेकिन छुट्टी की व्यवस्था को अभी तक अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका है। हाल यह है कि कभी थानों में तो कभी गश्त के नाम पर 24 घंटे ड्यूटी करने वाले पुलिसकर्मियों को नियमित छुट्टी भी नहीं मिल पा रही है। विधानसभा चुनाव के चलते छुट्टी तो पूरी तरह से निरस्त ही कर दी गई हैं।
जंग लगे असलहों से मिलेगी मुक्ति
पुलिस के ज्यादातर असलहों में काम करने लायक नहीं रहे। अब जंग लगे असलहों से मुक्ति मिल रही है। ड्यूटी के समय पुलिसकर्मियों को रायफल फेल होने का भय सताता है। हालांकि बीते वर्ष विभाग को शासन से एक सैकड़ा इंसास रायफलें तथा डेढ़ सैकड़ा एसएलआर मुहैया कराई गई हैं लेकिन ये असलहा तैनात पुलिसकर्मियों की संख्या से काफी कम है। इनका कहना है कि पुलिसकर्मियों को आवश्यकता पड़ने पर अवकाश दिया जाता है। आवास व असलहों को लेकर भी कोई समस्या नहीं है। असलहे बीते वर्ष काफी नए आ गए हैं।
सुनील कुमार सक्सेना, पुलिस अधीक्षक