शिक्षक पढ़ाते नहीं, बच्चे आते नहीं
मैनपुरी : परिषदीय विद्यालयों की व्यवस्थाओं का बुरा हाल है। शिक्षक स्कूल नहीं जाते, जो जाते हैं वह
मैनपुरी : परिषदीय विद्यालयों की व्यवस्थाओं का बुरा हाल है। शिक्षक स्कूल नहीं जाते, जो जाते हैं वह पढ़ाई पर ध्यान ही नहीं देते। ऐसे में परिषदीय स्कूलों की पढ़ाई की व्यवस्था पटरी से उतर गई है। निरीक्षण होते हैं और शिक्षकों पर कार्रवाई भी होती है। लेकिन व्यवस्था फिर उसी तरह बेपटरी हो जाती है। बीते चार माह में लापरवाही पर 25 शिक्षक निलंबित किए गए, लेकिन पढ़ाई की स्थिति में सुधार नहीं आया।
परिषदीय स्कूलों में सबसे बड़ी समस्या शिक्षकों का समय से स्कूल न पहुंचना है। बगैर बताए कई शिक्षक तो गायब ही रहत हैं। छह माह पहले तत्कालीन जिलाधिकारी लोकेश एम ने एक ही दिन में बीस स्कूलों का औचक निरीक्षण किया तो हालात देख दंग रह गए। उन्हें स्कूलों से 17 शिक्षक गैर हाजिर मिले। इन्हें निलंबित किया गया जबकि 35 को चेतावनी जारी की गई। लेकिन शिक्षकों के रवैये में कोई सुधार नहीं आया। बाद में ये शिक्षक बहाल कर दिए गए तो हालात फिर वही हो गए। इधर चार माह में 25 शिक्षकों को लापरवाही पर निलंबित किया जा चुका है। इनमें 11 शिक्षक अधिकारियों के निरीक्षण के दौरान गायब थे, तो चार पर मिड डे मील में गड़बड़ी का आरोप था। जबकि दस शैक्षिक गुणवत्ता बेहतर न होने के कारण निलंबित किए गए। शिक्षकों के विद्यालय न आने के कारण बच्चे भी स्कूल जाने से अब कतराते हैं।
पहुंच जाती है निरीक्षण की सूचना
शिक्षकों ने बेसिक शिक्षा विभाग में अपनी जुगाड़ भी सेट कर ली है। यदि कहीं कोई निरीक्षण होता है और बेसिक शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को पहले से इसकी जानकारी होती है तो वह फोन पर शिक्षकों को पहले ही निरीक्षण की सूचना दे देते हैं।
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'विद्यालय नहीं जाने वाले शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई होगी। सभी शिक्षक विद्यालय में समय से पहुंचना सुनिश्चित करें और शैक्षिक गुणवत्ता को सुधारें।
रामकरन यादव, बीएसए, मैनपुरी।
क्या बोले लोग
परिषदीय विद्यालयों की बदहाली से हर कोई वाकिफ है। लेकिन विभागीय अधिकारी कोई ठोस कदम नहीं उठाना चाहते हैं। जब तक कार्रवाई का डर नहीं होगा तब तक शिक्षा का हाल नहीं सुधरेगा।
सुमित कुमार।
अधिकांश स्कूलों में जिन शिक्षकों की तैनाती है वे आते ही नहीं है और अगर आते भी हैं तो समय पूरा करके लौट जाते हैं। जब सरकार उन्हें वेतन दे ही रही है तो वे बच्चों को पढ़ाने की जहमत क्यों उठाएं।
जुबेर।
परिषदीय स्कूलों में दिन-भर बच्चे खेलते रहते हैं। और गुरुजी आराम से कुर्सी पर बैठकर तमाशा देखते रहते हैं। ऐसे में हम एक शिक्षित समाज की कल्पना कैसे कर सकते हैं। अधिकारियों को ऐसे शिक्षकों के विरुद्ध कार्रवाई करनी चाहिए।
वीके यादव।
प्राथमिक व माध्यमिक विद्यालयों में जिन लोगों के बच्चे पढ़ते हैं उन्हें भी शिक्षा व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए। अगर शिक्षक स्कूल में नहीं पढ़ाते हैं तो उनकी शिकायत उच्चाधिकारियों से करनी चाहिए।
नीरज कुमार।