निस्वार्थ सेवा करने वालों को मिलता है विशेष स्थान
मैनपुरी, भोगांव : मनुष्य को भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा जैसी निस्वार्थ मित्रता करनी चाहिए, लेकिन वर्तमा
मैनपुरी, भोगांव : मनुष्य को भगवान श्रीकृष्ण व सुदामा जैसी निस्वार्थ मित्रता करनी चाहिए, लेकिन वर्तमान में लोग स्वार्थ की मित्रता करते है। जो कि अधिक दिन तक नहीं चल पाती है। निस्वार्थ सेवा करने वाले समाज में उच्च स्थान को प्राप्त करते हैं। नर सेवा नारायन सेवा के समान होती है।
यह विचार भगवताचार्य पं. देवेंद्र दीक्षित रितिक जी ने जीटी रोड पर रेलवे क्रॉ¨सग के निकट स्थित चल रही श्रीमद् भगवत कथा के अंतिम दिन व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण एवं सुदामा की मित्रता का उदाहरण इसीलिए दिया जाता है क्योंकि उनकी मित्रता निस्वार्थ थी। भगवान श्रीकृष्ण ने गरीब सुदामा को गले लगाकर और उनका सत्कार कर और उनकी सहायता कर समाज को यही संदेश देने का प्रयास किया था कि समाज में कोई छोटा-बड़ा नहीं होता है। भगवताचार्य ने कहा कि व्यक्ति को कर्म करते हुए धर्म का भी ध्यान रखना चाहिए। क्योंकि ईमानदारी से कमाया हुआ धन टिकता है। इस मौके पर पूर्व प्रधानाध्यापक कप्तान ¨सह राजपूत, ब्रजेश पांडेय, रामौतार ¨सह यादव, हृदेश पांडेय, अहिवरन ¨सह यादव, प्रशांत तिवारी, इंद्रेश पांडेय, रमेशानंद महाराज, मंगल पांडेय, राहुल पांडेय, आनंद राजपूत, जय¨सह शाक्य मौजूद रहे।