आजादी के आंदोलन का गवाह बिस्मिल की बहन के मकान का तहखाना
मैनपुरी : क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल की बहन शास्त्री देवी के गांव में बना पुराने मकान का तहखान
मैनपुरी : क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल की बहन शास्त्री देवी के गांव में बना पुराने मकान का तहखाना आज भी आजादी के आंदोलन की गवाही दे रहा है। यह वही स्थान है, जहां बैठकर असफाक उल्ला खान और उनके साथियों ने मैनपुरी षड्यंत्र केस की रणनीति बनाई थी। बिस्मिल आजादी के आंदोलन में क्रांतिकारियों के संपर्क में रहने के लिए अधिकांश समय कोसमा हिनूद में ही रुका करते थे।
कोसमा हिनूद गांव के बीच में बने मकान में एक तहखाना बना था। इसमें घुसने का रास्ता क्रांतिकारियों और उनकी बहन के परिजनों के अलावा किसी को नहीं मालूम था। आज भले ही तहखाने की ऊपर की छत ढह जाने के बाद मकान खंडहर में तब्दील हो रहा है, लेकिन आजादी के दीवानों द्वारा बनाई जाने वाली रणनीति को आज भी गांव के लोग याद करते हैं।
गांव निवासी एक सौ वर्षीय जयदेवी का कहना है कि जब आजादी का आंदोलन चल रहा था, तो राम प्रसाद बिस्मिल अधिकांश समय मेरे ही गांव में व्यतीत करते थे। वह कहती हैं कि मेरे ससुर बताया करते थे कि क्रांतिकारी आजादी के आंदोलन में रेल लाइन के किनारे रात को बैठकर रेल में आने-जाने वाले अंग्रेज अफसरों की गतिविधियों पर भी नजर रखा करते थे।