बजट की कमी में खेलकूद ठप
मैनपुरी: परिषदीय स्कूलों में खेल के साथ ही खेल हो गया। सरकार की व्यवस्था से अब स्कूलों में खेल ही
मैनपुरी: परिषदीय स्कूलों में खेल के साथ ही खेल हो गया। सरकार की व्यवस्था से अब स्कूलों में खेल ही ठप हो गए हैं। बजट के अभाव में स्कूल में खेल ने दम तोड़ दिया। जो व्यायाम अनुदेशक हैं उन्हें पढ़ाई का जिम्मा सौंप दिया गया है।
परिषदीय स्कूलों में भी खेलकूद की सुविधा थीं। जूनियर हाईस्कूल के बच्चों के लिए खेलकूद के नाम पर दो रुपये प्रतिवर्ष और प्राइमरी स्कूल के बच्चों के लिए 20 पैसे प्रतिवर्ष लिए जाते थे। जिन जूनियर स्कूलों में सौ से अधिक छात्र संख्या थी। वहां एक व्यायाम अनुदेशक की तैनाती की गई थी। ऐसे में जिले में 103 जूनियर हाईस्कूलों में व्यायाम शिक्षक की तैनाती हुई। तब एकत्र होने वाली धनराशि से खेलकूद भी होते थे। लेकिन वर्ष 2011 में अचानक शासन ने खेलकूद के नाम पर धनराशि वसूले जाने पर रोक लगा दी। ऐसे में स्कूलों खेलकूद की व्यवस्था ही खत्म हो गई। शासन ने बीते वर्ष जिले से खेलकूद के लिए पूछा था कि कितनी धनराशि की जरूरत है। ऐसे में 20 हजार रुपये प्रत्येक ब्लॉक स्तर पर, 3 लाख रुपये जिला स्तर की खेलकूद प्रतियोगिताओं के लिए मांगे गए थे। शासन को डिमांड भी भेजी गई। लेकिन आज तक धनराशि जारी नहीं हो सकी। ऐसे में स्कूलों में खेलकूद की गतिविधियां पूरी तरह ठप हो गईं।
अब किसी भी परिषदीय स्कूल में खेलकूद प्रतियोगिता ही नहीं होती है। स्कूलों में जो खेल के मैदान थे, वह भी बदहाल हो गए। कहीं घास खड़ी है तो कहीं मैदान में गड्ढे हो गए हैं। शिक्षकों का कहना है कि खेलकूद प्रतियोगिताओं से बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास होता है।
जिला बेसिक शिक्षाधिकारी हरकेश यादव ने बताया कि शासन से बजट न मिलने के कारण स्कूलों में खेलकूद प्रतियोगिताएं ठप हैं। बजट की मांग शासन से की गई है। बजट आते ही खेलकूद प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी।