मुख्यमंत्री के डर ने फुला दी सांसें
मैनपुरी: मुख्यमंत्री के आने के डर ने अधिकारियों की सांसें फुला दी हैं। छह सितंबर को मुख्यमंत्री क
मैनपुरी: मुख्यमंत्री के आने के डर ने अधिकारियों की सांसें फुला दी हैं। छह सितंबर को मुख्यमंत्री का जिले में आने का कार्यक्रम है। ऐसे में अधिकारियों को उनकी प्राथमिकता वाली योजनाओं की याद आने लगी है। डर है कि कहीं मुख्यमंत्री योजनाओं की समीक्षा न कर लें। ऐसे में निर्माण कार्यों की रफ्तार तेज की जा रही है।
मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और सपा मुखिया मुलायम ¨सह छह सितंबर को जिले में बनने वाले सैनिक स्कूल का शिलान्यास करेंगे। इसके बाद क्रिश्चियन मैदान में जनसभा को संबोधित करेंगे। ऐसे में अधिकारी दहशतजदा हैं। उन्हें डर है कि कहीं मुख्यमंत्री प्राथमिकता वाली परियोजनाओं की समीक्षा न कर लें।
मुख्यमंत्री की प्राथमिकता में शामिल पचास लाख रुपये से अधिक की लागत वाली परियोजनाओं में ग्रामीण पेयजल योजना है। इस योजना के तहत कुचैला, गांगसी, कोसमा, किरथुआ, नसीरपुर, खरपरी में टंकी बनाकर पाइप लाइन से पानी सप्लाई करने की योजना की प्रगति अच्छी नहीं है। एक वर्ष में 40 से 50 फीसद ही कार्य पूरा हो सका है।
कार्य की धीमी प्रगति पर पहले भी शासन नाराजगी जता चुका है। लेकिन प्रगति में सुधार नहीं हुआ है। यही हाल इटावा-कुरावली फोरलेन निर्माण का है। फरवरी 2013 में निर्माण कार्य शुरू हुआ। इसे 2016 में पूरा होना है। लेकिन अब तक महज 31 फीसद ही काम हुआ है। ऐसे में फोर लेन निर्माण की धीमी प्रगति को लेकर भी अधिकारी परेशान हैं।
उधर, जिला महिला अस्पताल में सौ शैय्या वाले मेटरनिटी ¨वग का निर्माण होना है। 72 फीसद ही निर्माण हो सका है। पुनरीक्षित बजट की मांग की गई है। लेकिन बजट अब तक जारी नहीं हुआ है। ऐसे में आकलन स्वीकृत होने तक एनआरएचएम निदेशक ने कार्य बंद करने का आदेश दिया है।
उधर, तहसील करहल के भवन का निर्माण कार्य बंद हो गया है। तहसील का निर्माण एक साल में केवल 25 फीसद ही हो सका है। कार्यदायी संस्था ने शासन से धन की मांग की है। यही हाल आसरा आवास योजना का है। दो वर्ष में 55 फीसद आवासों का ही निर्माण हो सका है। जिले में आग लगने की घटनाओं पर काबू पाने के लिए बनाए जाने वाले आधा दर्जन अग्निशमन केंद्रों में कई अधूरे पड़े हैं। इनके निर्माण के लिए भी पुनरीक्षित बजट मांगा गया है।
स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार लाने को सामुदायिक स्वास्थ केंद्र बेवर, कुरावली, कुचैला, करहल, भोगॉव की प्रगति भी संतोषजनक नहीं है। तीन वर्ष में निर्माण कार्य पूरा नहीं हो सका है। अधिकारी कार्य पूरा करने के लिए कई बार निरीक्षण कर तेजी लाने के निर्देश दे चुके है। उसके बाद भी प्रगति में सुधार नहीं हुआ है।