मनरेगा में धांधली के सुबूत तलाश लौटी सीबीआइ
मैनपुरी: मनरेगा में धांधली के सुबूत तलाश कर भले ही सीबीआइ की टीम वापस लौट गई है, लेकिन दो दर्जन से अ
मैनपुरी: मनरेगा में धांधली के सुबूत तलाश कर भले ही सीबीआइ की टीम वापस लौट गई है, लेकिन दो दर्जन से अधिक अधिकारी, कर्मचारी और ब्लॉक प्रमुख जांच के घेरे में हैं। सीडीओ और बीडीओ के अलावा मनरेगा के कार्यो की ऑडिट करने वालों पर भी जांच की आंच आना तय माना जा रहा है।
मनरेगा योजना से कराए गए वर्ष 2007 से 2010 तक के विकास कार्यो पर खर्च की गई धनराशि पर नजर डालें, तो इस अवधि में सबसे अधिक विकास खंड बेवर, सुल्तानगंज और किशनी को मनरेगा से धनराशि आवंटित की गई थी। सबसे कम धन मैनपुरी विकास खंड को आवंटित हुआ था। जबकि कुरावली, घिरोर, बरनाहल, जागीर, करहल विकास खंड में भी मनरेगा से कार्य कराए गए थे।
कार्यदायी संस्थाओं के अधिकारियों की भी सीबीआइ के डर से सासें फूल रही हैं। करोड़ों रुपये नहर की पटरियों से झाड़ी काटने और मेड़बंदी के नाम पर तो खर्च किया ही गया था, सड़कों की पटरियों की घास छीलने के लिए भी लोक निर्माण विभाग ने लाखों रुपये खर्च किए थे, जो जांच के घेरे में हैं।
मनरेगा में धांधली के सुबूत तलाशने में जुटी सीबीआइ के निशाने पर दो तत्कालीन सीडीओ, तीन बीडीओ के अलावा आधा दर्जन कार्यदायी संस्थाओं के प्रमुखों के अलावा कई ब्लॉक प्रमुख भी हैं। यही नहीं मनरेगा में हुई धांधली को क्लीन चिट देने वाली ऑडिट टीम भी सीबीआइ के राडार पर है। पिछले कई दिनों तक जिले में कार्यो का स्थलीय निरीक्षण करने के बाद सीबीआइ टीम वापस लौट गई है।
जानकार सूत्रों का कहना है कि अब मनरेगा की धांधली में शामिल अधिकारी, कर्मचारियों को एजेंसी नोटिस जारी कर पूछताछ कर सकती है। जिससे अधिकारी, कर्मचारियों में खलबली मची हुई है।