तो बच्चों की तरह करनी होगी पौधे की परवरिश
जागरण संवाददाता, मैनपुरी : उजड़ती बगिया को बचाने के लिए अब 'बागवां' ने हाथ बढ़ाए हैं। इसके लिए वन वि
जागरण संवाददाता, मैनपुरी : उजड़ती बगिया को बचाने के लिए अब 'बागवां' ने हाथ बढ़ाए हैं। इसके लिए वन विभाग ने कानून के डंडे का सहारा लिया है। विभाग ने जिले में पुराने कानून को सख्ती से लागू कर दिया है।
हालांकि हरे वृक्ष काटने पर पहले से ही प्रतिबंध है। मगर किसी को विषम परिस्थिति में अगर पेड़ काटना पड़े तो उसके लिए विभाग से अनुमति लेनी पड़ती है। नियमानुसार दो पौधों की कीमत यानि 400 रुपये जमानत राशि के साथ दो छायादार प्रजाति के पौधे लगाने पर ही विभाग एक पेड़ काटने की अनुमति देता है। अब तक लोग पेड़ तो काट लेते थे मगर पौधे नहीं लगाते थे। विभागीय सख्ती के बाद पेड़ काटने वाले न केवल पौधे लगा रहे हैं बल्कि उनकी खूब देखभाल भी कर रहे हैं।
जमानत राशि वापस पाने के लिए आवेदक को पांच साल बाद पौधे की फोटो भेजनी होगी। इसके बाद विभागीय कर्मचारी मौके पर जाकर सत्यापन करेंगे। अगर, पौधों की लंबाई इन पांच सालों में 12 फुट हो जाती है तो ही जमानत राशि वापस की जाएगी। यदि पेड़ काटने वाला पौधे नहीं लगाता है तो विभाग जमानत राशि से दो पौधे खरीदकर लगाएगा।
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सख्ती की तो भरा खजाना
यह विभागीय सख्ती का ही नतीजा है कि साल 2014-15 में 64 पेड़ काटे और 128 पौधे रोपित करने की अनुमति ली गई। इसके बदले जमानत राशि के रूप में 25,600 रुपये जमा हुए।
'हरियाली को बचाने और लोगों को जागरूक करने के लिए ही व्यवस्था शुरू की गई है। नियम पहले से है लेकिन अब इसका सख्ती से पालन कराया जा रहा है।
संजीव कुमार,
प्रभागीय निदेशक सामाजिक वानिकी।