नवीन अन्न के अर्पण से प्रसन्न होते हैं देवता
मैनपुरी, भोगांव: नवीन फसल का अन्न देवताओं को अर्पण करने से सुख समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है और प
मैनपुरी, भोगांव: नवीन फसल का अन्न देवताओं को अर्पण करने से सुख समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है और पूरे वर्ष इस अन्न से ही किसान अपने परिवार को भरण पोषण करता है। देवताओं का स्मरण करने से व्यक्ति को आत्मिक सुख की अनुभूति के साथ-साथ जीवन में आनंदित होने का मौका मिलता है।
उक्त विचार आर्य समाज के मंत्री विष्णुमित्र ने नगर के छोटा बाजार स्थित आर्य समाज मंदिर में शारदीय नवसस्येष्टि व महर्षि दयानंद के निर्वाण दिवस के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि शारदीय नवसस्येष्टि का पर्व मानव सभ्यता के प्रारंभ से ही अस्तित्व में आया है और इसे योगीराज भगवान श्रीकृष्ण और राम के युग में भी प्रधानता मिली है। वर्ष में दो प्रमुख फसलें होती हैं जिनके अन्न से ही पूरे वर्ष का भरण पोषण व्यक्ति को करना होता है। शरद ऋतु के नवीन अन्न को यज्ञ के माध्यम से देवताओं को अर्पण करने के लिए नवसस्येष्टि का पर्व मनाया जाता है। नवीन फसल के अन्न से किए गए यज्ञ से देवताओं की आराधना अच्छे रूप में होती है। उन्होंने कहा कि पर्व की सार्थकता तभी है जब सभी लोग इस पर्व के महत्व को समझें। अपर निदेशक स्वास्थ्य आगरा मंडल डॉ. सत्यमित्र ने कहा कि नवसस्येष्टि के दिन ही महर्षि दयानंद ने नश्वर संसार को त्यागा था। उनके अधूरे कार्यो को पूरे करने का संकल्प युवाओं के मन में हमेशा रहना चाहिए और समाज में व्याप्त कुरीतियों को दूर करने के लिए आर्य समाज के विचारों को आगे बढ़ने के लिए सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। पूर्व में आयोजित हवन यज्ञ में सैकड़ों लोगों ने आहूतियां दी। इस दौरान भारत स्वाभिमान ट्रस्ट के जिला प्रभारी चन्द्र प्रकाश यादव, अवधेश यादव, अशोक कश्यप, राजेन्द्र किशोर, डॉ. यज्ञमित्र, डॉ. बीएस यादव, देवमित्र, कुंवरसेन, संतोष द्विवेदी, ईश्वरचन्द्र दीक्षित, वेदमित्र, प्रदीप भटनागर, वेदप्रकाश उपाध्याय, रघुनंदन सिंह, ओमप्रकाश वर्मा, श्रीचंद्र वर्मा, राजकुमार वर्मा, सुरेन्द्र शुक्ला, कृष्ण चन्द्र दुबे, श्याम सिंह शाक्य, जयदीप यादव, राजेन्द्र भटनागर मौजूद थे।