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गांवों की प्यास बुझाने को कवायद

मैनपुरी : ग्रामीण इलाकों में प्यासे कंठों को तर करने के लिए 43,72,300 रुपयों की दरकार है। सूखा राहत

By Edited By: Published: Tue, 21 Oct 2014 07:31 PM (IST)Updated: Tue, 21 Oct 2014 07:31 PM (IST)
गांवों की प्यास बुझाने को कवायद

मैनपुरी : ग्रामीण इलाकों में प्यासे कंठों को तर करने के लिए 43,72,300 रुपयों की दरकार है। सूखा राहत योजना के तहत पंचायत राज विभाग ने शासन को ग्राम पंचायतों में हैंडपंपों की वास्तविक सूची भेजी है।

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जनपद को सूखा ग्रस्त घोषित किए जाने के साथ ही शासन ने सूखा प्रभावित सभी क्षेत्रों में हर संभव सहायता देने के स्पष्ट आदेश विभागीय अधिकारियों को दिए हैं। शासन ने विभागों से आवश्कता संबंधी सूची तलब की है।

सूखा प्रबंध कार्ययोजना के तहत पंचायत राज विभाग ने जो सूची शासन को भेजी है, उसके अनुसार ग्राम पंचायतों में 36689 हैंडपंप लगे हुए हैं। इनमें से 661 हैंडपंप पूरी तरह से खराब पडे़ हैं और बाकी 560 अस्थायी तौर पर खराब हैं। 101 हैंडपंप ऐसे भी हैं जो स्थायी तौर पर खराब हो चुके हैं।

विभागीय रिपोर्ट के अनुसार ग्राम पंचायतों में कुल 1322 हैंडपंप पूरी तरह से खराब हो चुके हैं। इनमें से प्रति हैंडपंप मरम्मत के लिए विभाग को 900 रुपयों की दर से विभाग ने शासन से 43,72,300 रुपयों की मांग की है।

सूखे पडे़ हुए हैं तालाब

ब्लॉक बरनाहल में पानी का सर्वाधिक संकट व्याप्त है। यहां तालाबों में पानी न होने के कारण पशु-पक्षियों की पेयजल की समस्या गहराती जा रही है। हालात यह हैं कि हैंडपंप पानी छोड़ चुके हैं। लोगों को प्यास बुझाने के लिए ट्यूबवेलों और सबमर्सिबल पंपों का सहारा लेना पड़ रहा है।

'इनमें से अधिकांश हैंडपंप सही करा दिए गए हैं। बाकी के लिए शासन से धनराशि की मांग की गई है। ग्रामीण इलाकों में पेयजल की समस्या को दूर करने के लिए विभागीय स्तर पर कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।'

सुशील कुमार शर्मा, जिला पंचायत राज अधिकारी, मैनपुरी।


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