भोगांव में फिर साइकल 'पंचर'
मैनपुरी : तीन लालबत्ती और विस सीट पर सालों से कब्जा। मगर भोगांव में इस बार भी सपा को शिकस्त मिली। छह माह बाद हुए चुनाव में हार का अंतर 1140 से बढ़कर 6 हजार का आंकड़ा पार कर गया। माना जा रहा है कि मतदाताओं ने इस बार फिर सपा को छोड़ जातीय समीकरणों को तवज्जो दी।
दरअसल, भोगांव विधानसभा में लोधी और शाक्य मतदाता सबसे अधिक है। लोधी करीब 45 हजार और शाक्य करीब 40 हजार है। इसके अलावा यादव मतदाताओं की संख्या भी करीब 38 हजार है। बीते चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र में भाजपा प्रत्याशी एसएस चौहान ने सपा प्रत्याशी मुलायम सिंह यादव को 1140 मतों से हराया था। ये तब था जबकि बसपा से शाक्य बिरादरी से ताल्लुक रखने वाली डॉ. संघ मित्रा मौर्य प्रत्याशी थीं। इस बार बसपा मैदान से बाहर थी और भाजपा ने प्रेम सिंह शाक्य को उम्मीदवार बनाया। लोधी मत तो भाजपा का हुआ ही शाक्य भी काफी हद तक भाजपा के खाते में गया। इसके अलावा अन्य सवर्ण जातियां भी भाजपा के पाले में पहुंची। नतीजा यह हुआ कि चार विधानसभाओं में जीत का परचम लहराने वाली सपा 6170 मतों से पीछे रह गई। हालांकि यहां से सपा की हार के पीछे कई कारण रहे। एक तो यहां से विधायक और प्राविधिक शिक्षा राज्यमंत्री आलोक शाक्य का बीमार होने के कारण चुनाव प्रचार से दूर रहे। दूसरे इसी विधानसभा क्षेत्र के गांव आलीपुर खेड़ा में दो बार सांप्रदायिक तनाव हुआ। इसका भी फायदा सीधे-सीधे भाजपा को हुआ। बता दें कि आलोक शाक्य के अलावा इस विधानसभा क्षेत्र में रहने वाले तोताराम यादव और दीप सिंह पाल दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री हैं। हालांकि इस चुनाव में भाजपा को भोगांव विधानसभा क्षेत्र में बीस से 25 हजार वोटों की जीत होने का अनुमान था। लेकिन यहां भी भाजपा अपना वोट बैंक पूरी तरह से सुरक्षित रखने में नाकाम रही। आखिरी चार दिनों में राज्यमंत्री आलोक शाक्य की क्षेत्र में प्रचार के दौरान उपस्थिति से भी भाजपा के वोट बैंक पर असर पड़ा। यहां लोधी मतदाता तो भाजपा के पक्ष में गया लेकिन शाक्य मतदाताओं में आलोक शाक्य ने सेंधमारी कर ली।