दुकानों पर कार्यरत कर्मचारी हो रहे शारीरिक उत्पीड़न का शिकार
मैनपुरी: श्रम विभाग की अनदेखी से नगर के व्यवसायिक प्रतिष्ठानों पर काम कर रहे कर्मचारियों से निर्धारित समय से अधिक समय तक काम कराकर बेखौफ शोषण किया जा रहा है। इसके चलते वह एक तरह से बंधुआ मजदूर होकर रह गये हैं।
नगर में दुकानों पर कार्यरत कर्मचारियों का श्रम विभाग में पंजीकरण न कराकर उनके मालिकों द्वारा खुलेआम शोषण किया जा रहा है। दुकानदारों द्वारा अपने कर्मचारियों से दुकान पर काम के अतिरिक्त घरेलू काम कराकर प्रतिदिन 8 घंटे के स्थान पर 10 से 12 घंटे काम लिया जा रहा है। साथ ही प्रति सप्ताह एक दिन के अवकाश वाले दिन भी काम पर बुला कर उनका शारीरिक और मानसिक उत्पीड़न किया जा रहा है। इसके बाद भी उनकी पीड़ा को कोई सुनने वाला नहीं है। यदि कोई इस उत्पीड़न के खिलाफ बोलता है तो दुकानदार द्वारा उसे नौकरी से निकालने की धमकी देकर शांत कर दिया जाता है।
नगर के बजाजा बाजार में कपड़े की दुकान पर कार्य कर रहे नाबालिग कर्मचारी बंटू ने बताया कि वह सुबह 8 बजे से रात 9 बजे तक काम करता है। उसे बाजार बंदी के दिन भी दुकान पर आना पड़ता है। जिस दिन वह छुट्टी लेता है उस दिन का पैसा भी मालिक द्वारा काट लिया जाता है। अगर वह कुछ कहता है तो निकालने की धमकी देकर मालिक द्वारा चुप कर दिया जाता है।
वहीं किराना की दुकान पर नौकरी कर रहे रामदीन का कहना था कि उसका मालिक दुकान के अलावा घर की साफ-सफाई, सब्जी लाना और घर से दुकान पर खाना लाने का काम कराता है। उससे मजदूरी से अधिक काम करवाकर शारीरिक उत्पीड़न किया जाता है। मगर उसकी सुनने वाला कोई नहीं है।
श्रमिकों के शोषण के बारे में श्रम प्रवर्तन अधिकारी विक्टर जोन का कहना है कि जिस कर्मचारी का उनके विभाग में पंजीकरण होता है और उसका यदि किसी दुकानदार द्वारा उत्पीड़न किया जाता है तो उसके विरुद्ध श्रम कानून के तहत कार्रवाई की जाती है।
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