प्यासे हैं दूसरों की प्यास बुझाने वाले
जागरण संवाददाता, हमीरपुर : बेतहाशा गर्मी हो और बुंदेलखंड में पेयजल संकट न बढ़े, ऐसा संयोग न जाने कब
जागरण संवाददाता, हमीरपुर : बेतहाशा गर्मी हो और बुंदेलखंड में पेयजल संकट न बढ़े, ऐसा संयोग न जाने कब बनेगा ? यहां यह प्रकृति की नियति ही है। हालांकि यहां जल संकट दूर करने के लिए सरकारों ने खजाने भी खोले, लेकिन अधिकारियों ने संसाधन बढ़ाने की बजाए कोष का बंदरबांट कर लिया। यही कारण है कि साल में दो-दो बार लाखों खर्च कर तालाब खोदे गए, लेकिन उनकी प्यास नहीं बुझाई जा सकी। हालत यह है कि प्यास बुझाने वाले तालाब ही खुद प्यासे हैं।
मुख्यमंत्री से लेकर जिलाधिकारी भी बुंदेलखंड में पेयजल समस्या न होने के वादे और दावे करते हैं, लेकिन उनके ही मातहत उनके इन वादों और दावों की हवा निकाल रहे हैं। मई शुरू हो गई है, लेकिन जिले में अभी तक तालाबों में धूल उड़ रही है। अफसरों ने तालाबों को फाइलों में लबालब कर दिया है। सबसे बड़ा उदाहरण सुमेरपुर विकास खंड क्षेत्र के बांक गांव का बड़ा तालाब है। इसकी खोदाई लघु ¨सचाई विभाग ने वित्तीय वर्ष 2016-017 में 17.02 लाख की लागत से करवाई गई थी। बताया जा रहा है कि एक वर पहले इसी तालाब की खोदाई में मनरेगा से भी लाखों का बजट खर्च किया जा चुका है। उसके बावजूद इस तालाब में आज तक पानी नहीं भरवाया गया। इससे इस तालाब में धूल ही उड़ रही है। क्षेत्र में ऐसे ही अधिकांश तालाब हैं।
06.44 करोड़ से सुमेरपुर में खोदे थे 22 तालाब
जिले के डार्क जोन घोषित सुमेरपुर ब्लाक को पानी की समस्या से दूर करने के लिए लघु ¨सचाई विभाग ने 06.44 करोड़ रुपये खर्च कर 22 तालाबों की खोदाई कराई गई थी। बजट समाप्त होने के बाद भी तालाबों में पानी नहीं दिखाई दे रहा। तालाबों से धूल उड़ रही है। मवेशियों को पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा।
जो भरा था पानी वह भी बहाया
खोदाई से पहले तालाबों में पानी भरा था, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने उसका पानी बाहर निकलवाकर बहा दिया। इससे और भी ज्यादा समस्या बड़ी हो गई। ग्रामीणों का कहना है कि बेहतर रहता कि तालाबों की खोदाई न कराई जाती। कम से कम थोड़ा ही सही पानी तो तालाबों में रहता।
''तालाबों की रिपोर्ट मांगी गई है। करीब 50 फीसद तालाब भरने की रिपोर्ट आई है। क्षेत्र के तालाबों का स्थलीय सत्यापन भी कराया जाएगा। सभी तालाब भरवाए जाएंगे।''
- डॉ. अब्दुल मन्नान, जिलाधिकारी।