दम तोड़ रही पशुओं की चिकित्सा की व्यवस्था
महराजगंज : तहसील क्षेत्र में स्थापित पशु चिकित्सालयों की बदहाली क्षेत्रीय पशु पालकों पर भारी पड़ रही
महराजगंज : तहसील क्षेत्र में स्थापित पशु चिकित्सालयों की बदहाली क्षेत्रीय पशु पालकों पर भारी पड़ रही है। ग्रामीण अंचलों में पशुओं की देखरेख के लिए स्थापित इन चिकित्सालयों में जरूरी उपकरणों के साथ चिकित्सकों की कमी हो गई है। इससे बीमार पशुओं का मुकम्मल इलाज नहीं हो पा रहा है। संक्रमित उपकरणों के प्रयोग से रोग ठीक होने की जगह बढ़ते जा रहे हैं, जिससे पशुपालक परेशान हैं। दो को छोड़ चार चिकित्सालयों में उपकरणों के विसंक्रमण करने के लिए उचित व्यवस्था नहीं है। बिजली न रहने पर तो दिक्कत और भी बढ़ जाती है। कृत्रिम गर्भाधान के लिए पानी गर्म करने की प्रक्रिया अमूमन अगल -बगल की दुकानों से पूरी की जा रही है।
बिजली न रहने से आवश्यक दवाओं की कोल्ड चेन टूट जाने से वह निष्प्रयोज्य साबित हो रही है। यही कारण है कि टीकाकरण के बावजूद सीजन में मुंहपका, खुरपका व अन्य रोगों का प्रकोप देखने को मिलता है। तहसील क्षेत्र में निचलौल, सिसवा, सोहगीबरवा, बरियारपुर, ठूठीबारी व मिठौरा में कुल छह पशु चिकित्सालय स्थापित किए गए हैं, लेकिन सिसवा व निचलौल को छोड़ शेष पशु चिकित्सा केंद्र की हालत खराब है।
मिठौरा तथा बरियारपुर में चिकित्सक नहीं हैं । सारा काम एक फार्मासिस्ट के जिम्मे है। यदि किसी कार्य बस फार्मासिस्ट कहीं चले जाते हैं तो चिकित्सा केंद्र पर ताला लटका दिया जाता है। कमोवेश यही हाल क्षेत्र में स्थापित अन्य सभी पशु चिकित्सालयों का है। --
पशु चिकित्सकों की तैनाती के लिए शासन को बराबर पत्र भेजा जाता है। सभी केंद्रों पर दवा की उपलब्धता के साथ बेहतर सेवा देने का प्रयास किया जाएगा।
- कमल किशोर, मुख्य पशु चिकित्साधिकारी