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बच्चों के लिए बोझ बना बस्ता

महराजगंज: केस एक- नगर पालिका परिषद महराजगंज के आजाद नगर वार्ड निवासी महेन्द्र खरवार की बेटी पूजा

By Edited By: Published: Sat, 27 Aug 2016 01:49 AM (IST)Updated: Sat, 27 Aug 2016 01:49 AM (IST)
बच्चों के लिए बोझ बना बस्ता

महराजगंज: केस एक- नगर पालिका परिषद महराजगंज के आजाद नगर वार्ड निवासी महेन्द्र खरवार की बेटी पूजा अभी सात साल की है। नगर के एक प्रतिष्ठित इंग्लिश मीडियम स्कूल में कक्षा दो की छात्रा है। उसका वजन अभी 10 किलो है। लेकिन उसके बैग का वजन 12 किलो हो चुका है। अभिभावक न चाहते हुए भी उसको 12 किलो का बस्ता लेकर स्कूल भेज रहे हैं।

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केस दो- शास्त्री नगर वार्ड के रहने वाले घनश्याम पटेल का बेटा अनुराग आठ साल का हुआ। कक्षा दो के इस छात्र का वजन 11 किलो है पर बस्ते का वजन 13 किलो हो चुका है। इसके पिता कहते हैं कि बस्ता खुद लेकर स्कूल जाता हूं। क्योंकि बच्चा बस्ते को उठा नहीं पाता है।

ये दो मामले उदाहरण मात्र हैं पर इस जिले में स्थित 268 मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों के हर बच्चे का यही हाल है। जिले में स्थित 2260 सरकारी स्कूलों के बच्चों के बस्ते अभी खाली हैं वहीं मान्यता प्राप्त 268 कांवेंट स्कूलों में बस्ते का बोझ इतना भारी हो चुका है कि बच्चा उठा नहीं पा रहा है। स्कूल गेट से क्लास तक बस्ता ले जाने में बच्चा पसीने-पसीने हो जाता है और हांफने लगता है। इससे हर बच्चे की गर्दन व रीढ़ की हड्डी कमजोर होने लगी है जो आगे चलकर बच्चे के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी। हालांकि इस ओर न प्रशासन का ध्यान है और न ही बस्ते का बोझ बढ़ाने वाले प्राइवेट स्कूलों के प्रबंध तंत्र का। बस्ते का बोझ बढ़ा कर बच्चे की ¨जदगी से खिलवाड़ करने के लिए सीधे तौर पर प्राइवेट स्कूलों का प्रबंध तंत्र ही जिम्मेदार है। ऐसा लगता है कि जिम्मेदारों को बच्चों के स्वास्थ्य की जरा भी ¨चता नहीं है।जीएसबीएस इंटर कालेज महराजगंज के प्रधानाचार्य विजय बहादुर ¨सह कहते हैं कि बच्चों के भारी बस्ते के लिए अभिभावक भी जिम्मेदार हैं। अभिभावकों को समय सारिणी के अनुसार पुस्तकों को बच्चे के बैग में रखना चाहिए। अभिभावकों के ध्यान न देने के कारण बच्चे सभी किताबें व उत्तर पुस्तिकाएं बैग में भर लेते हैँ। इसके साथ ही अभिभावक लंच बाक्स व पानी की बोतल भी डाल देते हैं। इससे बस्ते का बोझ बढ़ जता है। अगर अभिभावक अपनी जिम्मेदारी निभाएं और बच्चों के स्वास्थ्य के प्रति सचेत रहें तो बस्ते का बोझ नहीं बढ़ेगा। अभिभावक वही पुस्तक बैग में डालें जिसकी पढ़ाई समय सारिणी के अनुसार होनी है। सभी प्राइवेट व कान्वेंट स्कूलों के प्रबंध तंत्र का निर्देश दिया गया है कि बस्ते का बोझ कम करें और बच्चे के स्वास्थ्य से खिलवाड़ न करें। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी जावेद आलम आजमी का कहना है कि इसके लिए अभिभावकों को भी ध्यान देना होगा और स्कूल से मिली समय सारिणी के अनुसार ही किताब व उत्तर पुस्तिका बैग में रखना होगा। प्रबंधतंत्र की जिम्मेदारी है कि उत्तर पुस्तिकाओं को कालेज में ही रखवा लें और होमवर्क की कापी ही बच्चों को घर ले जाने दें। हर माह बच्चे के स्वास्थ्य का परीक्षण कराएं।


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