किसने दिया साथ, कौन किया दगा की समीक्षा में बीती रात
महराजगंज : क्षेत्र पंचायत प्रमुख के इस प्रतिष्ठापरक चुनाव में पूरी ताकत लगाने के बाद भी भी विजय से च
महराजगंज : क्षेत्र पंचायत प्रमुख के इस प्रतिष्ठापरक चुनाव में पूरी ताकत लगाने के बाद भी भी विजय से चंद कदम पीछे रहने वाले आधा दर्जन प्रत्याशियों की रात हार के कारणों की समीक्षा में बीती। किसने दिया साथ, किसने किया भीतरघात व ऐन मौके पर दिया दगा का गुणा-भाग समर्थकों से घिरे पराजित प्रत्याशी करते रहे। कहां हुई चूक, किसने दिया गच्चा और कौन निकला सच्चा पर भी खूब माथा पच्ची की।
धन व बाहु बल के भरोसे लड़ गए इस चुनाव में जिले की आठ सीटों पर हुई प्रतिष्ठापरक लड़ाई में सपा के भी तीन दिग्गजों को इस बार पराजय का सामना करना पड़ा। सिसवा में मानवेन्द्र ¨सह की हार की चहु्ओर चर्चा है। इनके समर्थन में खड़े सपा के कद्दावर नेताओं के चेहरे पर ¨चता की लकीरें गहरी हो गयी। हार के कारणों की समीक्षा देर रात तक होती रही। किसने साथ दिया और कितने लोगों ने दगा किया पर खूब माथा पच्ची की।
प्रतिष्ठापरक दूसरी सीट फरेंदा की रही। सपा की अधिकृत प्रत्याशी उर्मिला की हार सपाई पचा नहीं पा रहे हैँ और इसके लिए पार्टी के ही कुछ कद्दावर नेताओं व भीतरघातियों को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। इनका कहना है कि हमें अपनों ने हराया। सदर ब्लाक की प्रतिष्ठापूर्ण सीट पर भी कमोवेश यही स्थिति रही। पत्नी गजाला की हार कद्दावर नेता आफाक अहमद पचा नहीं पा रहे हैं। समर्थक भी मायूस हैँ। देर रात तक समर्थकों से घिरे आफाक हार के कारणों की समीक्षा करते रहे। किसने साथ दिया, किन-किन लोगों ने दगा किया पर काफी देर तक मंथन होता रहा। समर्थक भी मायूस थे और सभी को हार का गम साल रहा था। सभी इसके लिए भीतरघातियों को जिम्मेदार ठहरा रहे थे। परतावल में धीरज यादव, बृजमनगंज में चइती देवी, धानी में देवेन्द्र मोहन चौधरी व लक्ष्मीपुर में सरदार तेजेन्द्र पाल, सिसवा से मानवेंद्र ¨सह भी देर रात तक समर्थकों के साथ हार के कारणों की समीक्षा में जुटे रहे। किसने साथ दिया, किसने विश्वासघात किया इस पर मंथन चलता रहा। गुणा-भाग लगाया। कमोवेश हार के लिए सभी ने अपनों के साथ छोड़ने का बड़ा कारण बताया। जीत के करीब पहुंचकर हारना और बहुत कुछ गंवाने का दर्द भी सालता रहा। सभी के घर पर निराशा का माहौल है।