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राहगीर नहीं फुटपाथ पर चल रही दुकान

महराजगंज: कस्बा में यदि पैदल चलना हो तो जरा संभल के। यहां कहीं भी आप को फुटपाथ खाली नहीं मिलेगा। फुट

By Edited By: Published: Tue, 01 Dec 2015 11:16 PM (IST)Updated: Tue, 01 Dec 2015 11:16 PM (IST)
राहगीर नहीं फुटपाथ पर चल रही दुकान

महराजगंज: कस्बा में यदि पैदल चलना हो तो जरा संभल के। यहां कहीं भी आप को फुटपाथ खाली नहीं मिलेगा। फुटपाथ पर दुकान लगा कर अतिक्रमण कर लिया गया है। उसके बाद दो पहिया व चार पहिया वाहन खड़ा कर स्टैंड बना लिया गया है। ऐसी स्थिति में सड़क पर ही वाहनों के बीच से ही चलना पड़ेगा। सड़क पर चल कर यदि सही सलामत घर पहुंच गए तो अपने आप को भाग्यशाली समझें। सिविल लाइन में रोडवेज बस स्टेशन है इसी के सामने सीएमओ कार्यालय व सदर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र स्थित है। यहां से कुछ आगे बढ़ने पर दो महाविद्यालय व इंटर कालेज हैं। इस कारण यहां सुबह से लेकर शाम तक भीड़ भाड़ रहती है। हालत ये है कि यहां सड़क के दोनों तरफ फुटपाथ पर ठेला लगाकर व पन्नी तान कर कब्जा कर लिया गया है। स्थाई दुकान दार टिन शेड लगा कर सड़क तक कब्जा किए हुए हैं। निजी बस चालक रोडवेज बस स्टेशन के ठीक सामने फुटपाथ से लेकर आधी सड़क तक बस खड़ी कर सवारी भरते हैं। फुटपाथ खाली न होने के कारण बस स्टैंड पर उतरे यात्री व आवश्यक काम वस बाजार में गए राहगीरों को मजबूरी में ही तेज रफ्तार फर्राटा भर रही वाहनों के बीच से ही चलना पड़ता है। चलते समय अक्सर राहगीर वाहन की ठोकर से घायल हो जाते हैं। यहां अक्सर जाम की समस्या उस समय उत्पन्न हो जाती जब निजी बस चालक सवारी बैठाने के लिए भीड़भाड वाले स्थान से ही बस को घुमाते हैं। बस घुमाते समय यहां अक्सर जाम तो लगता है इसके साथ ही दो पहिया व चार वाहन में ठोकर लगने से विवाद होता रहता है। टेंपो चालकों पर तो मानो यातायात नियम का कुछ असर ही नहीं है जब चाहे जहां चाहे वाहन खड़ी कर सवारी भरने लगते हैं। जिससे जाम की समस्या उत्पन्न हो जाती है।

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---------------------------------------------------------------फुटपाथ पर अतिक्रमण के चलते यह हो सकती है कार्रवाई:

- लोक संपत्ति क्षति निवारण अधिनियम 1948 की धार 3 के तहत पांच वर्ष का कारावास व अर्थदंड

- भारतीय दंड विधान की धारा 447 के अंतर्गत तीन महीने का कारावास व पांच सौ अर्थदंड

- पुलिस अधिनियम की धारा 32 के अंतर्गत दो सौ रुपये का अर्थदंड

- उत्तर प्रदेश नगर योजना एवं विकास संशोधन अधिनियम 1997 के अंतर्गत एक वर्ष का कारावास व 20 हजार अर्थदंड


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