¨हसक हुए पहाड़ी, निशाने पर भारतीय
महराजगंज: मधेशी आंदोलन ने भारत व नेपाल के बीच सदियों से जारी रोटी बेटी के रिश्ते में कड़वाहट घोल दी
महराजगंज:
मधेशी आंदोलन ने भारत व नेपाल के बीच सदियों से जारी रोटी बेटी के रिश्ते में कड़वाहट घोल दी है। दो महीने से संविधान निर्माण में अपनी उपेक्षा का आरोप लगाकर आंदोलन कर रहे मधेशी व थारूओं के मुकाबले पहाड़ी मूल के लोग खड़ा हो गए हैं। अब इनके निशाने पर भारतीय भी आ गए हैं। चीन समर्थक पहाड़ी युवा इस आंदोलन के लिए भारत को सीधे जिम्मेदार मान रहे हैं। इसी का परिणाम है कि दो दिन पूर्व मुंग्लिग में मध्य प्रदेश, राजस्थान और उड़ीसा के पर्यटकों के साथ बस रोककर लूटपाट की कोशिश हुई। उनकी बसों से तेल निकाल लिया गया। इन पर्यटकों ने किसी तरह से सुरक्षित स्थान पर आकर अपनी जान बचाई। भारत विरोधी मानसिकता का एक और नजारा रविवार को बेलहिया में भी देखने को मिला। अपने बहन के यहां भैरहवा जा रहे लक्ष्मीपुर निवासी दीपक वर्मा को पहाड़ी युवकों ने बेलहिया के पास घेरकर अधमरा कर दिया। हमलावर दीपक को मरणासन्न जान हटे। बाद में किसी तरह से मधेशी मूल के लोगों व नेपाली प्रहरी दल के जवानों ने भैरहवा मेडिकल कालेज में भर्ती कराया, तब जाकर दीपक की जान बची। रविवार को ही बेलहिया स्थित भंसार कार्यालय पर कागजी कोरम पूरा कर रहे हरियाणा के ट्रक ड्राइवर राजेंद्र ¨सह पर भी जानलेवा हमला हुआ। पहाड़ी मूल के युवा उन्हें भी मरणासन्न जान कर छोड़े। ये चंद घटनाएं महज बानगी भर हैं। हफ़ते भर से नेपाल की फिजा में भारत विरोधी स्वर मुखर हो गए हैं। आवश्यक सामानों की पूर्ति न होने के पीछे भी भारत का हाथ होने का आरोप मढ़ा जा रहा है। नवलपरासी जिले के सात भारतीय शिक्षकों की बर्खास्तगी को भी भारत विरोधी मुहिम का हिस्सा माना जा रहा है। भारतीय शिक्षक संघ नेपाल के अध्यक्ष बालजी पांडेय ने बताया कि नेपाल में रहकर कार्य करना अब मुश्किल हो गया है। पहाड़ी मूल के लोगों द्वारा भारतीयों के साथ द्वेष की भावना से कार्य किया जा रहा है। कुल मिलाकर अब रोटी बेटी के रिश्तों में भी दरार पड़ चुकी है। लोगों का मानना है कि यदि स्थिति सामान्य नहीं हुई तो सीमा से आवाजाही भी मुश्किल हो जाएगी।
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शुरू हुआ मधेशियों का पलायन
पहाड़ी समुदाय के लोगों द्वारा ¨हसक रूप अख्तियार करने के बाद नेपाल से मधेशी समुदाय के लोगों का पलायन शुरू हो गया है।अधिकांश चर्चित मधेशी चेहरे भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में डेरा डाले हुए हैं। कुछ लोगों द्वारा तो यहीं से आंदोलन का संचालन भी किया जा रहा है। नेपाल में डीजल,पेट्रोल व रसोई गैस सिलेंडर जैसे आवश्यक संसाधनों की किल्लत के चलते लोग अपनी बहू बेटियों को वापस भारत बुला लिए हैं। सीमा से सटे सोनौली, नौतनवा, बरगदवा, परसामलिक, ठूठीबारी, निचलौल आदि क्षेत्रों में शरण लिए संशकित मधेशियों को देख वहां की स्थिति का सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है।