सीमावर्ती क्षेत्रों के युवाओं में तेजी से बढ़ रही नशाखोरी
महराजगंज : सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थापित मेडिकल स्टोर से इन दिनों धड़ल्ले से प्रतिबंधित दवायें
महराजगंज :
सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थापित मेडिकल स्टोर से इन दिनों धड़ल्ले से प्रतिबंधित दवायें बेची जा रही है। स्वास्थ्य विभाग इनके खिलाफ कार्रवाई न कर हाथ पर हाथ धरे बैठा है। जिस कारण इन दुकानदारों के हौसले इतने बढ़ गये हैं कि बिना किसी रजिस्टर्ड चिकित्सक की पर्ची के युवाओं को ये दवायें थमा दे रहे हैं। इससे युवाओं में तेजी से नशाखोरी की प्रवृत्ति बढ़ रही है। प्रतिबंधित दवाओं के शौकीन ज्यादातर निकटवर्ती नेपाल एवं तराई क्षेत्र के युवा है।
भारत नेपाल सीमा क्षेत्र के कस्बे व गांवों में खुले मेडिकल स्टोर धन की लालच में युवाओं को मौत बेच रहे हैं। ये बिना किसी रजिस्टर्ड चिकित्सक के पर्ची के ही युवाओं द्वारा मांगी जा रही प्रतिबंधित दवाओं को बेचने में जरा सा भी हिचक नही रहे हैं। दवा दुकानदार भी बखूबी जानते हैं कि लगातार इन दवाओं के सेवन से कोई भी इसका आदी हो जायेगा, इसके बावजूद दुकानदारों द्वारा स्वास्थ्य महकमे को ठेंगा दिखाते हुए प्रतिबंधित दवाओं को धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। हलांकि शासन द्वारा स्पास्मो पाक्सिवान, फेन्साडिल, कोरेक्स आदि दवाओं को प्रतिबंधित श्रेणी में रखा गया है। इसकी जरूरत किसी मरीज को पड़ने पर चिकित्सक की पर्ची से ही दिया जा सकता है। इस तरह का शासनादेश भी है लेकिन इसका पालन न होने से सीमाई इलाके ठूठीबारी, लक्ष्मीपुर खुर्द, कनमिसवा, बैठवलिया, बहुआर, शितलापुर, झुलनीपुर, करमहिया में स्थापित रजिस्टर्ड अथवा गैर रजिस्टर्ड मेडिकल स्टोर से धड़ल्ले से बिक्री जारी है। इसका इस्तेमाल नशेड़ी व युवा वर्ग नशे के लिए कर रहा है। सीमा पार नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रहे युवा तो इसके पूरे मुरीद है तथा खुली सीमा का लाभ लेकर इन दवाओं का खुलकर इस्तेमाल करते हैं।
शीघ्र चलेगा अभियान: सीएमओ मुख्य चिकित्साधिकारी जितेन्द्र कुमार महेश्वरी का कहना है कि समय समय पर ऐसे मेडिकल स्टोर पर छापेमारी की जाती है तथा प्रतिबंधित दवायें अधिक मात्र में मिलने पर उनके खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही इस बारे में अभियान भी चलाया जायेगा।