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आंदोलन ने रोकी नेपाल में पुर्ननिर्माण की राह

महराजगंज: पखवारे भर से चल रहे मधेशी, थारू व आदिवासी जनजाति आंदोलन के चलते नेपाल में पुर्ननिर्माण क

By Edited By: Published: Thu, 27 Aug 2015 01:12 AM (IST)Updated: Thu, 27 Aug 2015 01:12 AM (IST)
आंदोलन ने रोकी नेपाल में पुर्ननिर्माण की राह

महराजगंज:

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पखवारे भर से चल रहे मधेशी, थारू व आदिवासी जनजाति आंदोलन के चलते नेपाल में पुर्ननिर्माण की कवायद को गहरा झटका लगा है। 25 अप्रैल को आए भूकंप के बाद संभलने की कोशिश कर रहा पड़ोसी मुल्क एक बार फिर लड़खड़ा गया है। मधेशी व थारूओं के साथ नेपाली सेना से हो रही झड़प ने यहां की फिजा में फिर खूनी रंग घोल दिया है। संस्कृति व क्षेत्रीयता के आधार पर प्रदेश बंटवारे की मांग कर रहे आंदोलनकारियों के उग्र प्रदर्शन के चलते आधारभूत संरचना को खड़ा करने की कवायद को गहरा झटका लगा है। भूकंप के कारण ध्वस्त हुए स्कूल, कालेज व आवश्यक उपक्रमों का निर्माण जोरशोर से चल रहा था। बिखरी ¨जदगी में खुशी का रंग घोलने के लिए नेपाली जनता जीतोड़ परिश्रम कर रही थी। काठमांडू, धनुषा, सप्तसरी, गोरखा, मुग¨लग, मोरंग, रामेछाप, पाल्पा, बारपाक आदि स्थानों पर निर्माण कार्य अंतिम दौर में था, लेकिन एकाएक सब ठहर सा गया है। एक मधेश एक प्रदेश व आदिवासी जनजाति आयोग के गठन की मांग को लेकर मधेश के बाइस जिलों से शुरू हुआ आंदोलन ¨हसक रूप लेते हुए नेपाल के सभी 14 विकास अंचलों में फैल चुका है। बुधवार को नवलपरासी में फाय¨रग से दो लोगों के घायल होने व कैलाली के टीकापुर व बेलहिया में हुए ¨हसक झड़प के चलते स्थिति और बिगड़ गई। जगह-जगह ¨हसक झड़पों का दौर जारी है। कहीं सेना व थारू-मधेशी आंदोलनकारी आमने-सामने हैं तो कहीं आंदोलनकारियों से खुद पहाड़ी मूल की जनता ही भिड़ जा रही है। नेपाल में तनाव का सीधा असर सीमा से सटे नवलपरासी व रूपन्देही जिले में भी स्पष्ट नजर आ रहा है। लगातार 15 दिनों से बाजारों में सन्नाटा पसरे होने से रसोई सूनी हो चुकी है। लोग जैसे-तैसे परिवार का पेट पाल रहे हैं। नेपाल में तनाव के चलते सीधा असर यहां के पर्यटन उद्योग पर भी दिख रहा है। पोखरा, पाल्पा, काठमांडू सहित अन्य पर्यटन स्थलों पर होटल सूने हैं। पोखरा की झीलें भी शांत होकर सैलानियों का इंतजार कर रही हैं। पर्यटक वाहन जहां-तहां खड़े हैं। नेपाल में शांति स्थापित करने को लेकर कोई भी कवायद अब तक सफल नहीं हो सकी है।

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