धरती बनी तवा, झुलसा रही गर्म हवा
महराजगंज : आसमान से दिन भर आग बरसती रही। सूर्य की प्रखर किरणों से धरती तवे की तरह तपने लगी और गर्म ह
महराजगंज : आसमान से दिन भर आग बरसती रही। सूर्य की प्रखर किरणों से धरती तवे की तरह तपने लगी और गर्म हवाओं से लोग दिनभर झुलसते रहे। तीखी धूप व उमस भरी गर्मी ने जनता की मुसीबत बढ़ा दी। तपती-जलती धूप से आम जन मानस अकुला उठा। सुबह नौ बजे से लेकर तीसरे पहर चार बजे तक सड़कों पर सन्नाटा पसर गया। तीखी धूप से शरीर को बचाने के लिए हर वर्ग के लोग बेचैन रहे। पुरुषों ने सिर को गमछे से ढंक रखा था, तो युवतियों व महिलाओं ने भी ग्लब्स से हाथ व दुपट्टे से चेहरे को ढक कर धूप से बचने की कोशिश की। वही तमाम लोगों ने छाता का सहारा लिया और आगे की यात्रा पूरी की।
सात दिन पहले मौसम ने करवट बदला। सुबह चलने वाली पुरूवा हवा दस बजते-बजते बंद हो जाती है और पछुआ हवा जोर पकड़ लेती है। दोपहर में सूर्य के सिर पर आने के साथ ही लू चलने लगती है जो कपड़ों को बेधती हुई शरीर में तीर की तरह लगती है। लू से बचने के लिए लोग सड़क किनारे पेड़ों का सहारा लेते हैं तो कुछ शीतल पेय की दुकानों की ओर बढ़ जाते हैं। तपती-जलती धूप से बचने के लिए सड़क किनारे लगे तरबूज, खीरे के ठेलों की ओर लोग लपकते हैं और इसे खाकर शरीर की गर्मी कम करने की कोशिश में जुट जाते हैं वहीं तमाम लोग पेट भर पानी पीकर लू व उमस भरी गर्मी से निजात पाने में जुट जाते हैं। मंगलवार को उमस भरी गर्मी से बचने के लिए घरों से निकले लोगों में से कुछ ने शीतल पेय का सहारा लिया तो कुछ ने खीरा, ककड़ी व तरबूज खाकर शरीर को गर्म होने से बचाया। ठंडे पानी की बोतलें भी खूब बिकीं। गरीबों ने पानी से पेट भरे। गर्मी का असर घर में भी लोगों ने शिद्दत से महसूस किया। दिन में पांच घंटे बिजली कटने के कारण महिलाओं की भी मुश्किलें बढ़ गयी। दिन भर पंखा झलते-झलते हाथ दुखने लगे पर पसीना नहीं सूखा।