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पिता की मौत, अनाथ हो गई सात बेटियां

महराजगंज : घुघली क्षेत्र के ग्राम सेमरा राजा टोला करमहिया निवासी 45 वर्षीय रामचंद्र की गोरखपुर में म

By Edited By: Published: Wed, 22 Oct 2014 12:22 AM (IST)Updated: Wed, 22 Oct 2014 12:22 AM (IST)
पिता की मौत, अनाथ हो गई सात बेटियां

महराजगंज : घुघली क्षेत्र के ग्राम सेमरा राजा टोला करमहिया निवासी 45 वर्षीय रामचंद्र की गोरखपुर में मार्ग दुर्घटना में मौत हो गयी। परिवार के एकमात्र कमाऊ सदस्य का शव घर आते ही कोहराम मच गया। वृद्ध माता-पिता फफक पड़े वहीं अनाथ हो चुकी सात बेटियों संग पत्‍‌नी विलाप करने लगी। गांव के लोग भी गमगीन हो गए। किसी में इतना साहस नहीं बचा था कि वे विलाप कर रही बेटियों को ढांढस बंधा सके।

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करीब 70 वर्षीय पिता नेउर चौधरी ने बताया कि परिवार की माली हालत सुधारने के लिए बेटा रामचंद्र उर्फ चन्नर गोरखपुर महानगर में काम करता था। बीते रविवार की रात पौने बारह बजे सरैया के पास पिकप ने ठोकर मारी और बेटे की मौके पर ही मौत हो गयी। यह खबर सोमवार को मिली तो बेटे की मां व पत्‍‌नी बेहोश हो गयी। पानी के छींटे मार कर उन्हें होश में लाया गया। कमाऊ पुत्र की मौत से परिवार पर तो विपत्ति का पहाड़ टूट पड़ा। हमारी तो बुढ़ापे की लाठी ही टूट गयी। बाबू-दुनिया में सबसे बड़ा बोझ बाप के कंधे पर बेटे का जनाजा होता है। अब इन बूढ़ी हो चुकी काया में इतना दम नहीं बचा है कि परिवार के लिए दो जून की रोटी जुटा सकूं। बेटे के लिए 68 वर्षीय फेंकना देवी रह-रह कर बेहोश हो जा रही है। बहू कोइली का विलाप थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस वर्ष 20 वर्षीय रीमा के हाथ पीले करने के लिए बेटा रामचंद्र परेशान था और रात-दिन काम कर पैसे जुटा रहा था। रीमा का हाथ पीला करने का अरमान पालने वाले रामचंद्र को ईश्वर ने उठा लिया। रीमा के अलावा ललिता (18 वर्ष), प्रतिमा (16), संजना (10), स्नेहा (5) व रितिका (3 वर्ष) का भरण-पोषण कैसे होगा कहते-कहते नेउर की आंखें भर आयीं। घुटनों के बीच चेहरा छिपाया और फफक पड़े।

गांव के लोगों ने बताया कि बेटे की चाह में रामचंद्र का परिवार बढ़ा और समय के उतार-चढ़ाव के बीच सात बेटियां हुई। वह भूसे का कारोबार करता और ट्राली से प्रतिदिन भूसा ले जाकर गोरखपुर में बेचता था। बड़ी बेटी 22 वर्षीय सीमा की शादी कर चुका था पर शेष छह बेटियों के हाथ पीले होने बाकी हैं। इतनी भूमि भी नहीं है कि पूरे परिवार के लिए रोटी-कपड़े का जुगाड़ हो सके। ग्रामीणों ने प्रशासन से इस पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता देने की मांग की है।


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