जब किया अनशन, तब मिली फाइल
जागरण संवाददाता, महराजगंज: प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के तहत आवेदन करने वाले विकलागों के साथ भी अधिकारी अपने अधीनस्थ कर्मचारियों की मिली भगत से छल कर रहे है। इसका खुलासा तब हुआ जब विकलांग द्वारा चौथे दिन जिलाधिकारी के कार्यालय पर अनशन किया गया। महीनों से दबी फाइल बाहर आ गई। मौके पर पहुंचे उद्योग विभाग के उपायुक्त एसी उपाध्याय ने फाइल बैंक भेजे जाने की पुष्टि करते हुए विकलांग का अनशन तोड़वाया। साथ ही अन्य मांगों को शीघ्र ही पूरा करने का भरोसा दिलाया।
विकलांग राजकेश्वर की माने तो वे प्रधानमंत्री रोजगार योजना के तहत आवेदन किया था। फिर साक्षात्कार के बाद उसका चयन किया गया। जब वह बैंक गया तो उसे कर्मचारियों द्वारा बताया गया कि अभी फाइल नहीं आयी है। तो वह जिला उद्योग कार्यालय पहुंचा, वहां उसे बताया गया कि फाइल भेज दी गई हैं। महीनों बैंक व उद्योग विभाग का चक्कर काटने के बाद व्यवस्था से आजिज विकलांग जिलाधिकारी कार्यालय के समक्ष 25 अगस्त को अनशन पर बैठ गया। इसके अनशन का समर्थन आम आदमी पार्टी, भाकपा व अन्य संगठनों ने करना शुरू कर दिया। इसके अनशन को पहले दबाने की कोशिश की गई। एसडीएम सदर मौके पर पहुंचकर उसे अनशन तोड़ने के लिए दबाव भी बनाया। लेकिन फाइल के जिद पर अड़ा विकलांग प्रशासन की एक न मानी। जिलाधिकारी ने मामला को संज्ञान में लेते हुए उद्योग विभाग को निर्देशित किया। चौथे दिन अनशन स्थल पर पहुंचे उद्योग विभाग के उपायुक्त एस सी उपाध्याय ने विकलांग राजकेश्वर सिंह को जूस पिलाकर अनशन समाप्त कराया। उन्होंने मौके पर ही प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम के अंतर्गत राजकेश्वर सिंह की फाइल बैंक को भेज दिए जाने की पुष्टि की तथा कहा कि शेष मांगों को पूरा करने के लिए शासन को लिखा जा रहा है। लिपिक ने अपनी गलती स्वीकार किया है।
इस दौरान आप आदमी पार्टी के जिलाध्यक्ष पशुपति नाथ गुप्ता, सचिव केएम अग्रवाल, विकलांग वीजर अली, दिनेश साहनी, जितेंद्र सिंह, बरकत अली आदि उपस्थित रहे।