नागपंचमी आज, लावा-दूध की मांग बढ़ी
जागरण संवाददाता, महराजगंज : जिले में शुक्रवार को नाग पंचमी महापर्व धूमधाम से मनाने की तैयारी चल रही है। कृषि व पर्यावरण के लिए उपयोगी नाग देवता की पूजा के लिए लावा व दूध की डिमांड बढ़ गयी है। कुश्ती व कबड्डी के लिए गांवों में विशेष तैयारी की गयी है। शिव मंदिरों की विशेष सफाई की गयी और उन्हें सजाया जा रहा है।
मालूम हो कि श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि नाग देवता को समर्पित है। ये वे नाग हैं जिन्हें देवाधिदेव महादेव गले का अलंकरण बनाते हैं तो भगवान विष्णु शैय्या तो प्रथम देव गणेश ने नाग को यज्ञोपवीत के रूप में धारण किया । वैसे जो भी कल्याणकारी है उसमें हम देवत्व के दर्शन करते हैं। कृषि व पर्यावरण के लिए उपयोगी नागों की पूजा का यही उद्देश्य है। जिसकी पूर्ति के लिए हम नाग पंचमी मनाते हैं और विषधर होने के बाद भी नाग देवता को दूध पिलाते हैं।
इसी नाग देवता की शुक्रवार को पंचमी के दिन घर-घर पूजा होगी। इसके लिए हर घर में तैयारी पूर्ण हो चुकी है। घरों की पूर्ण सफाई के साथ लावा-दूध की व्यवस्था कर ली गयी है।
नागपंचमी के दिन शहर देहात हर जगह कुंआरी लड़कियां तालाबों के किनारे गुड़िया व चने लेकर जाती हैं। इनके पीछे-पीछे बेर का डंडा लेकर लड़के जाते हैं। लडकियां गुड़िए को पानी से भरे तालाब में फेंकती हैं और लड़के इसे बेर के डंडे से पीटते हैं। परंपरा में शामिल यह क्रिया वर्षो से होती चली आ रही है। शहरों में तो यह विलुप्ती के कगार पर है पर गांवों में आज भी यह जीवंत है। गुड़िया पीटने वाले लड़कों में चना बांटा जाता है और इस तरह लड़कियां चना बांट लड़कों को मजबूत व बलिष्ठ बनने के लिए प्रेरित करती हैं।
गांवों में नागपंचमी के दिन कबड्डी व कुश्ती होती है। घंटो चलने वाली कुश्ती देखने के लिए खेल प्रेमी जुटते हैं और कुश्ती का आनंद लेते हैं। इसके बाद स्नान आदि कर बच्चे, बड़े व बुजुर्ग घर पहुंचते हैं और नाग देवता की पूजा के लिए बने लजीज व्यंजनों का आनंद लेते हैं। इन दोनो ही कार्यक्रमों के लिए गांवों में एक हफ्ते से जोर-शोर से तैयारी चल रही है। उभरते पहलवान साथी को पछाड़ने के लिए मुश्कें कसने लगे हैं। शुक्रवार को नागपंचमी के दिन अपने कौशल दिखाएंगे और साथी पहलवान को आसमान दिखाएंगे।
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