तभी आएगी मुस्कान, जब कुछ करेंगे काम
जागरण संवाददाता, महराजगंज:
जागो, उठो और चल पड़ो खेतों की ओर। सूख रही धरती तुम्हे पुकार रही है। फसल को बचाने के लिए गुहार लगा रही है। फसल बचेगी। लेकिन तुम्हे भी कुछ करना होगा। हर तीसरे दिन शाम को खेत में पानी चलाना होगा। पानी चलाने पर ही लहलहाएंगे पौधे। ..और तब किसान ही नहीं सभी के चेहरे पर मुस्कान आएगी। आज पूरा देश अन्नदाता की ओर देख रहा है। प्रधानमंत्री भी बोल रहे हैं कि पैदावार बढ़ानी होगी, नई वैज्ञानिक तकनीक अपनानी होगी।
सूखे से निपटने के लिए प्रशासन ने भी कवायद शुरू कर दी है। नहरों में पानी का प्रवाह तेज करने का निर्देश दिया गया है। यांत्रिक गड़बड़ी से बंद बडे़ नलकूपों को ठीक कराया जा रहा है। नलकूपों का पानी जिस नालियों से गुजरता है, उसकी टूटी दीवारों को जगह जगह ठीक कराया जा रहा है। ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली आपूर्ति के निर्देश दे दिए गए हैं। जिससे फसल को सूखने से बचाया जा सके।
कृषि वैज्ञानिक पीके सिंह ने कहा कि जो किसान धान की रोपाई कर चुके हैं। वे पानी का प्रबंधक करें। लेकिन जो धान नहीं रोपे हैं। वह एक सप्ताह तक पानी का इंतजार कर सकते हैं। अगर जिन किसानों के खेत उपर है, यानि पानी नहीं लगते हैं तो वे राई की बोआई करें। यह 90 से 95 दिन में कट जाती है। इसके बाद वह गेहूं की बुआई कर सकते हैं। जहां पानी नहीं लगता है। वहां मूंग की भी बुआई कर सकते हैं।
कृषि विशेषज्ञ नागेंद्र पांडेय कहते हैं कि धान की प्रजाति सहभागी नवीन, पंख, सम्राट, बीटा-12 लगाएं तो इसके लिए पानी की अधिक जरूरत नहीं पड़ती। नामिनल पानी से ही यह फसल तैयार हो जाता है। पुरानी परम्परा के मुताबिक मिश्रित खेती की जाती थी। धान के साथ मडुवा, मक्का, अरहर, कोदो जैसे फसल लगाए जाते थे। जब पानी पर्याप्त मात्रा में मिल जाता था, तो धान तैयार हो जाता था। यदि पानी कम मिला तो अन्य फसल मडुवा, मक्का, अरहर, कोदो तैयार हो जाते थे। ऐसे में खाद्य सुरक्षा व पशुचारा का संकट नहीं रहता था। वर्तमान में मिश्रित खेती को नजर अंदाज करने से किसान की फसल प्रभावित हो रही है।
जिले में किसानों के लिए निश्शुल्क बोरिंग योजना के तहत शासन ने लघु सिंचाई विभाग को सामान्य व अनुसूचित जाति के कुल 691 बोरिंग का लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके लिए 24 लाख रुपये अवमुक्त भी किए गए हैं। इन बोरिंग के माध्यम से खेतों में पानी पहुंचा कर किसानों को सूखे की संकट से निपटने से राहत मिलेगी। हालांकि अवमुक्त बजट उंट के मुंह में जीरा के समान है। इस संबंध में सहायक अभियंता लघु सिंचाई लाल मणि चौधरी ने बताया कि उपलब्ध बजट के अनुसार निश्शुल्क बोरिंग किसानों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं। शेष बजट आने पर अन्य किसानों को निश्शुल्क बोरिंग दी जाएगी।
प्रशासन की तैयारी
- सीएचसी और पीएचसी पर डाक्टरों की टीम गठित
- ओआरएस, ब्लीचिंग, क्लोरिन आदि दवा सुरक्षित
- 67 पेट्रोल पंप पर तीन हजार लीटर डीजल व एक हजार लीटर पेट्रोल रिजर्व
- चिउड़ा की व्यवस्था विपणन अधिकारी को सौंपी गई
- रोजगार के लिए लेबर बजट के मद में 15303.05 रुपये शासन से मांग
- सिंचाई विभाग ने दस अदद पंपिंग सेट रिजर्व किया
- 224 पोखरों में भरा गया पानी
- जल निगम ने शहरी क्षेत्र के लिए 50.50 लाख रुपये और 389.92 लाख रुपये सूखा कंटीजेंसी प्लान बनाकर शासन को भेजा
- जिला मुख्यालय पर कंट्रोल नंबर स्थापित, नंबर- 05523-2220811
खरीफ की तैयार हो रही फसल को इस समय पानी की जरूरत है। लेकिन न तो पर्याप्त बारिश हो रही है। न ही निजी या सरकारी संसाधन ही किसानों के उम्मीदों पर खरा उतर पा रहे हैं। किसान अपनी पूंजी के डूबने की आशंका से हलकान है और पानी का इंतजार कर रहे हैं।
किसान अलगू ने कहा कि धान की फसल मुरझाने की कगार पर हैं। पंपिग सेट के जरिए पानी चलवाना बहुत महंगा पड़ रहा है। किसान राम अवतार ने कहा कि किसानों को सभी छलने का कार्य करते हैं। इस बार भगवान भी नजरें टेंढ़ीं कर रखी है। सिंचाई कार्य बुरी तरह से प्रभावित है। किसान राम प्रीत व जैनुद्दीन ने कहा कि यही हाल रहा तो पूंजी डूब जाएगी। बिजली मिल नही रही है। पंपिग सेट के जरिए सिंचाई कराना काफी महंगा पड़ रहा है। लेकिन फसल बचाने के लिए सब कुछ करना पड़ रहा है।
नहर पुर्नस्थापना के लिए गंडक पुर्नगठन स्थापना योजना को वित्त समिति की मंजूरी मिल गयी है। योजना के तहत करीब 283 करोड़ के कार्य कराए जाएगें। जिसमें नहरों की सिल्ट सफाई, बैक साइट, डैमेज मरम्मत आदि कार्य होंगे। अधिशासी अभियंता सिंचाई खंड प्रथम राजेंद्र चंद्र ने कहा कि करीब 283 करोड़ योजना की वित्त समिति द्वारा मंजूरी मिली है। बजट प्राप्त होते ही कार्य शुरू करा दिए जाएंगे। उन्होंने कहा कि नहरों में पर्याप्त पानी उपलब्ध है। किसानों को अक्टूबर तक पानी मुहैया कराया जाएगा।