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समस्त भाषाओं की जननी है संस्कृत

By Edited By: Published: Thu, 24 Jul 2014 01:13 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jul 2014 01:13 AM (IST)
समस्त भाषाओं की जननी है संस्कृत

जागरण संवाददाता, महराजगंज:

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संस्कृत समस्त भाषाओं की जननी है। यह मात्रा एक भाषा ही नहीं अपितु समग्र ज्ञान का सागर है। संस्कृत समाज को एकता के सूत्र में बांधने में भी सक्षम भाषा है।

यह बातें संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कामत ने कही। वह मंगलवार को स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर इंटरमीडिएट कालेज में आयोजित संस्कृत गोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा से मनुष्य केवल ज्ञान ही अर्जित नहीं करता है, बल्कि संस्कारित भी होता है। भारतीय संस्कृति के पुर्नउत्थान के लिए संस्कृत भाषा का प्रचार-प्रसार अति आवश्यक है।

गोष्ठी की अध्यक्षता करते हुए कैलाश नाथ सिंह ने कहा कि सबको अपनी सभ्यता व संस्कृति के प्रति जागरूक रहना चाहिए। साथ ही अपने बच्चों को संस्कार युक्त शिक्षा के लिए हमेशा प्रोत्साहित करना हमारा क‌र्त्तव्य होना चाहिए। उन्होंने कहा कि संस्कृत इतनी समृद्ध भाषा कोई नहीं है। इसी से सभी अन्य भाषा की उत्पत्ति हुई है।

गोष्ठी के दौरान विद्यालय के प्रधानाचार्य जनमेजय सिंह को जिला संयोजक तथा ओम प्रकाश सिंह को तहसील संयोजक बनाया गया। इस अवसर पर डा. कन्हैया लाल झा, डा. जोखन पांडेय, कैलाश नाथ, उमेश मणि त्रिपाठी, दिवाकर पांडेय, शिव प्रसाद मिश्रा, हरिराम साहनी, अशोक तिवारी, राज किशोर, दशरथ, बृजनाथ व सुनील आदि उपस्थित रहे।


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