शहर हो या गांव ठिठक जाते पांव
विश्वदीपक त्रिपाठी, महराजगंज: महराजगंज का जिला मुख्यालय हो, कोई कस्बा, गांव या टोला। शाम ढलते ही यहां के वाशिंदों के पांव ठिठक जाते हैं। कारण यह है कि खेत, मेड़, झाड़ियों में सांपों ने अपना बसेरा बना लिया है। बारिश के मौसम में बड़ी संख्या में सर्प दंश से पीडि़त लोग इलाज के लिए अस्पतालों में दस्तक दे रहे हैं। यह स्थिति तब है जब जिले में नाम मात्र की बारिश हुई है। पिछले ढाई माह के दौरान जिला अस्पताल सहित विभिन्न स्वास्थ्य केंद्रों पर 373 मरीज इलाज के लिए आ चुके हैं। सर्प दंश से पीडि़त मरीजों के आने का क्रम अब भी बदस्तूर जारी है।
42820.10 हेक्टेयर में फैला सोहगीबरवा क्षेत्र वन संपदा की दृष्टि से सूबे का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करता रहा है। वन क्षेत्र का 39220.10 हेक्टेयर एरिया सुरक्षित है, जबकि 3600 हेक्टेयर एरिया कृषि भूमि है। जंगल की इन घनी झाड़ियों में बहुतायत जहरीले सर्प पाए जाते हैं। वन विभाग द्वारा कराए गए सर्वे में 32 प्रजातियों के सांपों के पाए जाने की पुष्टि हुई है। जिसमें से सर्पो की कुछ प्रजातियां विलुप्त होने की कगार पर हैं।
इन प्रजातियों के मिलते हैं सर्प: डीएफओ शिवा जी राय ने कहा कि महराजगंज में कुल 32 प्रजातियों के सांप पाए जाते हैं। लेकिन इनमें से कुछ प्रजातियां अब विलुप्त हो गई है। वर्तमान में निम्न प्रजातियों के सांप बहुतायत पाए जाते हैं:
कोबरा-- नाग
पाइथन- अजगर
वामन क्रैट- करैत
रैट स्नैक- धामिन
वैडेड रेसर- गेहुंवन
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ढाई माह में सर्प दंश के भर्ती मरीज:
सदर अस्पताल-199
सीएचसी बनकटी-149
निचलौल-13
पनियरा-5
परतावल -7
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सर्प दंश के बाद क्या करें उपाय:
सदर अस्पताल महराजगंज के चिकित्सक डा. रंजन मिश्र ने कहा कि सर्प दंश के बाद संबंधित स्थान के ऊपर बांध दें। यदि संभव हो तो प्लस के आकार का चीरा भी लगा दें। मरीज आधे घंटे के अंदर अस्पताल पहुंच जाए और इलाज शुरू कर दिया जाए, तो उसके बचने की पूरी संभावना रहती है।
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क्या है दवा की स्थिति:
पिछले अप्रैल माह में सदर अस्पताल महराजगंज व जिले के अन्य सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के लिए 288 एंटी स्नेक वेनम का वायल मंगाया गया था। सदर अस्पताल में वर्तमान में महज पांच वायल ही बचा है। सर्प दंश के मरीजों की बढ़ती संख्या को देखते हुए तीन सौ वायल मंगाने के लिए बार्डर फिर दिया गया है।
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'' सदर अस्पताल सहित सभी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर पर्याप्त संख्या में एंटी स्नैक वेनम उपलब्ध है। यदि समय से सर्प दंश के मरीजों का इलाज शुरू हो जाए तो उन्हें बचाया जा सकता है। किसी भी अस्पताल में दवा की कमी नहीं है। ''
डा. एसके सिंह
सीएमओ, महराजगंज