शिक्षकों का टोटा, दरक रही गुणवत्ता
महराजगंज:
तराई के इस पिछडे़ इलाके में अभी शासन प्रशासन की लापरवाही के कारण शिक्षा व्यवस्था की गाड़ी पटरी पर नहीं आ सकी है। जिले के प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों का अकाल है। साढे़ चार हजार शिक्षकों की कमी के कारण विद्यालयों में पठन पाठन की व्यवस्था चरमरा गई है।
जिले में कुल 1478 प्राथमिक विद्यालय तथा 645 पूर्व माध्यमिक विद्यालय हैं। इन विद्यालयों में कुल तीन लाख छह हजार छ सौ बच्चे पंजीकृत हैं। यहां प्रधानाध्यापक व सहायक अध्यापक के 6805 पद स्वीकृत हैं। लेकिन इन पदों पर पूरी भरपाई अभी तक नहीं हो पायी।
प्राथमिक विद्यालयों में प्रधानाध्यापक के 1478 पद के सापेक्ष 399 कार्यरत हैं। 1078 पद रिक्त हैं। सहायक अध्यापक के 3392 के सापेक्ष 1085 कार्यरत हैं, 2307 पद रिक्त हैं।
पूर्व माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक के 645 पद के सापेक्ष 209 कार्यरत हैं। 436 रिक्त हैं। इसी प्रकार सहायक अध्यापक के 1290 पद के सापेक्ष 445 कार्यरत हैं। 845 रिक्त हैं।
हालात यह है कि एक तरफ विद्यालयों में मानक के अनुसार छात्र संख्या नहीं है, तो दूसरी तरफ शिक्षकों का टोटा। जिन विद्यालयों में कुछ बच्चे हैं भी, तो वहां उन्हें पढ़ाने वाला शिक्षक ही नहीं है। शिक्षकों की कमी व जिम्मेदारों की बेहतर मानीटरिंग के अभाव के कारण शिक्षा की गुणवत्ता दिनों दिन दरकती जा रही है। जिसके कारण अभिभावक भी अपने बच्चों को निजी क्षेत्र के स्कूलों में ही भेजने में रूचि ले रहे हैं। माडल स्कूल की बात करें तो शासन ने तेरह विद्यालय खोलने का लक्ष्य निर्धारित किया था। लेकिन चार विद्यालय के लिए ही प्रशासन भूमि उपलब्ध करा सका। वर्ष 11-12 के 20 प्राथमिक व 8 उच्च प्राथमिक विद्यालयों का निर्माण कार्य अभी तक नहीं पूरा हो सका। वर्ष 12-13 तथा 13-14 में शासन द्वारा जनपद में प्राथमिक व पूर्व माध्यमिक विद्यालय के भवन निर्माण का लक्ष्य नहीं मिला। राजकीय विद्यालयों की संख्या यहां छह, शासकीय विद्यालय 39 तथा स्ववित्त पोषित विद्यालय की संख्या 102 है। लेकिन इन विद्यालयों में भी अंग्रेजी, गणित, विज्ञान सहित कई विषयों के लगभग 168 शिक्षकों की कमी है। निजी व कान्वेंट विद्यालयों में तीस प्रतिशत गरीबों के बच्चों के प्रवेश का आदेश भी यहां अमल में नहीं आ सका। आइसीएससी व सीबीएससी बोर्ड की इंटरमीडिएट वर्ग की शिक्षा के लिए यहां के बच्चों को दूसरे जनपद का सहारा लेना पढ़ता है। उच्च शिक्षा के मामले में भी यह जिला फिसड्डी है। विज्ञान वर्ग में परास्नातक के लिए सिर्फ लाल बहादुर डिग्री कालेज आनंदनगर में तीस सीट है। जबकि जनपद के चौंतीस कालेज में विज्ञान वर्ग की पढ़ाई नहीं होती है। तकनीकि शिक्षा के क्षेत्र में फरेंदा में मिनी आइटीआई खोलने की योजना भी अभी तक जमीन पर नहीं उतर सका।