जाम के झाम में बेहाल जिदंगी
महराजगंज:
करीब छब्बीस लाख बासठ हजार जिले भर की आबादी के इस मुख्यालय शहर में ट्रैफिक की सघनता तो हर रोज बढ़ रही है। जाम से जूझती सड़कें ही पार्किंग जोन भी बनी हैं। ऐसे में दुघर्टनाएं हर रोज की डायरी में चढ़ रही हैं और आबादी बढ़ने के साथ ट्रैफिक सिस्टम धराशायी होता जा रहा है। जाम के झाम मे घसीट रही जिंदगी को राहत पहुंचाने के लिए प्रशासन के इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं।
जिले में ट्रैफिक व्यवस्था को संभालने की जिम्मेदारी सीमित संख्या में कांस्टेबिलों के कंधों पर है। जिला मुख्यालय पर एक भी पार्किंग स्थान नहीं है। यहां की सड़कें ही पार्किंग जोन है, जिस पर जहां चाहे गाड़ी खड़ा कर वाहन स्वामी खरीदारी करना शुरू कर देते हैं। बानगी के तौर, गोरखपुर मार्ग पर बलिया नाला पुल से पेट्रोल पम्प तक, निचलौल रोड पर मऊपाकड़ में तथा मुख्यालय रोड पर पिपरदेउरवा नहर पुल के पास मुख्य सड़क की दोनों पटरियां देखी जा सकती हैं। जिला मुख्यालय पर कोई बाईपास न होने से सभी वाहनों को तहसील तिराहा से होकर गुजरना पड़ता है। मऊपाकड़ तथा हनुमानगढ़ी तिराहा तक व्यवस्था के मुताबिक जिम्मेदारी का निर्वहन कर रहे हैं, लेकिन यह संख्या ट्रैफिक लोड के आगे शून्य साबित हो रही है।
जिला मुख्यालय के अलावा फरेन्दा, सोनौली, सिसवा बाजार, घुघली, परतावल एवं पनियरा में ट्रैफिक लोड सर्वाधिक है। जिले से होकर एक नेशनल तथा दो स्टेट हाइवे गुजरती है। सोनौली में अंतर्राष्ट्रीय प्रवेश द्वार होने से हजारों की संख्या में भारी वाहन नेपाल में विधिक रूप से प्रवेश करते हैं। इस रूट पर आनंद नगर एवं सोनौली में आए दिन बेतरतीब वाहनों के खड़ा होने से जाम की नौबत बन जाती है। इससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर तराई के इस जिले में ट्रैफिक इंतजाम की किरकिरी होती है।
बावजूद इसके फरेन्दा से लेकर सोनौली तक तकरीबन पचास किमी सड़क यातायात को चौबंद बनाए रखने के लिए खास व्यवस्था नहीं हैं। ऐसे में शहर जाम के चलते रेंगता नजर आता है। जिला मुख्यालय के सृजन हुए 25 साल से अधिक समय समय बीत गया, पर अभी तक नगर पालिका पार्किंग स्थल की सुविधा नहीं मुहैया करा पायी है। परतावल, निचलौल, फरेन्दा, सोनौली में भी पार्किंग की व्यवस्था नहीं है।