पान की दुकान पर बनते बिगड़ते समीकरण
महराजगंज:
लोक सभा चुनाव की रणभेरी बजते ही चुनावी चर्चाओं का दौर तेज हो गया है। चाय की चकल्लस के साथ साथ पान की गुमटियां भी गुलजार हो गई हैं। पान की दुकानों पर पान की गिलौरियों के साथ साथ चुनाव की स्थिति परिस्थिति की समीक्षा शुरू हो जाती है। बाद में आने वाले लोग भी अपना एजेंडा रखते है। घण्टों चलने वाली बहस के दौरान शीतल पेय का दौर भी चलता है। 16 वीं लोकसभा का चुनाव परिणाम चाहे जो भी हो लेकिन ऐसी चर्चाओं ने राजनैतिक जागरुकता का ग्राफ जरूर बढ़ा है।
फरेन्दा कस्बे में सबसे पुरानी पान की दुकान भदई पान वाले की है। यहां तो वैसे पूरे दिन पान के शौकीनों की भीड़ दिखती है। लेकिन दिन ढलने के बाद यहां लोगों का जमावड़ा अधिक हो जाता है। चुनाव की गर्माहट शुरू होते ही यहां पान खाने के साथ साथ चुनावी चर्चाओं का दौर शुरू हो गया है। प्रत्याशियों के दावें और विकास कायरें की समीक्षा भी शुरू हो गई है। कुछ ऐसा ही माहौल शनिवार की रात यहां देखा गया। जहां शीतल पेय के घूंट के साथ घण्टों राजनीतिक चर्चा चलती रही। चर्चा में शामिल एलआईसी के भारतेन्दु मिश्र कहते है कि पिछले दस वर्षों में विकास की जगह घोटालों का तोहफा जनता को मिला। टू जी स्पेक्ट्रम और राष्ट्रमण्डल खेल घोटालों की लम्बी श्रृंखला है। इसका सारा बोझ जनता के कंधों पर डाल दिया गया। शिक्षक श्रीकृष्ण मिश्र भी घोटालों की बात से सहमत है। लेकिन मनरेगा सूचना का अधिकार और खाद्य सुरक्षा कानून लाने के लिए मौजूदा सरकार की तारीफ भी करते है।उनका कहना है कि अपने नेताओं पर अंकुश न लगा पाने के कारण कांग्रेस को दिक्कत हो सकती है। दुकानदार जमाल अहमद इनकी बातों से इत्तफाक नही रखते। वह कहते हैं कि राष्ट्रीय पार्टियों ने विकास के नाम पर जनता को ठगने का काम किया है। जबकि क्षेत्रीय पार्टियों ने स्थानीय समस्याओं का निराकरण। दिलीप तिवारी कहते है कि जनता जब तक अपने हक हकूक के बारे में नहीं जानेगा, तब तक देश का विकास सम्भव नहीं है। जागरूक नागरिक ही राष्ट्र का निर्माता होता है और इस बार जनता बदलाव चाहती है। उमेश उपाध्याय लोगों की बात काटते हुए बोल पड़ते हैं बदलाव केवल चाहने से नहीं मिलेगा। बदलाव के लिए मत का प्रयोग आवश्यक है। मतदान प्रतिशत बढ़ा कर ही हम स्थिर सरकार बना पायेंगे। विनय त्रिपाठी कहते हैं कि भाजपा की लहर है और जनता परिवर्तन चाहती है। इस लिए इस बार स्थितियां बदलेंगी। गंगा पाण्डेय का कहना है कि जनता भ्रष्टाचार से ऊब चुकी है।