ट्रेनों की तरह रेलवे की योजनाएं भी लेट
- मंजूरी होने के बावजूद कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट की गति सुस्त - सुलतानपुर से भी सुस्त गति से र
- मंजूरी होने के बावजूद कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट की गति सुस्त
- सुलतानपुर से भी सुस्त गति से रायबरेली रूट का दोहरीकरण
जागरण संवाददाता, लखनऊ :
यात्री सुविधाएं बेहतर करने के लिए रेलवे के कई महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट ग्रीन सिग्नल मिलने के बावजूद रेंग रहे हैं। आलम यह है कि रेल दोहरीकरण का जो काम सुलतानपुर और रायबरेली रेलखंड पर चल रहा है। उस काम में भी प्राथमिकता सुलतानपुर रेलखंड को दी जा रही है। जबकि रायबरेली रेलखंड के दोहरीकरण की गति बहुत ही धीमी है।
दरअसल रेलवे की निर्माण इकाई के पास चारबाग स्टेशन की यार्ड री-मॉडलिंग, रूट रिले इंटरलाकिंग, मल्हौर में मेमू कार शेड जैसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट हैं। जबकि आरवीएनएल उतरेटिया से सुलतानपुर होकर वाराणसी, उतरेटिया से रायबरेली रेलखंड के दोहरीकरण और ऐशबाग से सीतापुर का अमान परिवर्तन का काम कर रहा है। इनमें ऐशबाग से सीतापुर के अमान परिवर्तन की गति सबसे तेज है। इस साल अक्टूबर में इस रेलखंड पर ट्रेन संचालन शुरू हो जाएगा। वहीं उतरेटिया से सुलतानपुर के बीच 18 किलोमीटर लंबे रेलखंड का अमान परिवर्तन 15 सितंबर तक पूरा हो जाएगा। जबकि 24 किलोमीटर का काम पूरा करने के लिए डेढ़ महीने का और समय लगेगा। उतरेटिया से ही रायबरेली रेलखंड के दोहरीकरण का काम भी चल रहा है। इस रेलखंड पर काम इतनी धीमी गति से चल रहा है कि रेलवे सुलतानपुर रेलखंड के जिस 24 किमी. के काम को डेढ़ माह में पूरा करेगा। वहीं रायबरेली रेलखंड पर 36 किमी. दोहरीकरण का लक्ष्य सात महीने का रखा गया है। इसी तरह शेष 36 किमी. के काम को पूरा करने के लिए एक साल और लगेंगे।
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इनकी तारीख भी बीती
चारबाग स्टेशन पर लिफ्ट : यहां प्रथम श्रेणी प्रवेश हाल से पैदल पुल को लिफ्ट से जोड़ा जाना है। जबकि शेष अन्य प्लेटफार्मो के लिए तीन लिफ्ट और चार एस्केलेटर लगाने का लक्ष्य मार्च 2017 तक किया गया था। रेलवे ने अब इसका काम शुरू किया है। प्लेटफार्म चार और पांच पर एस्केलेटर लगाए जा रहे हैं।
यार्ड री-मॉडलिंग : इस प्रोजेक्ट के तहत चारबाग स्टेशन पर दो अतिरिक्त प्लेटफार्म और दो नई रेल लाइन बिछाई जाएगी। इसकी टेंडर प्रक्रिया अक्टूबर 2016 से लंबित है।
रूट रिले इंटरलाकिंग : चारबाग स्टेशन पर ट्रेनों की क्षमता बढ़ाने के लिए रूट रिले इंटरलाकिंग का प्रोजेक्ट पिछले साल मंजूर हुआ था। इस काम को यार्ड री-मॉडलिंग के साथ शुरू किया जाना था। लेकिन अब तक इसकी टेंडर प्रक्रिया ही फाइनल नहीं हो सकी है।
मल्हौर मेमू कार शेड : लखनऊ से कानपुर के बीच चलने वाली मेमू ट्रेनों के रखरखाव के लिए अब तक उनको गाजियाबाद मेमू कार शेड भेजा जाता है। वर्ष 2010 में मल्हौर में मेमू कार शेड बनाने के लिए 80 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए थे। अब तक मेमू कार शेड बनाने का काम शुरू नहीं हो सका।
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रेलवे की निर्माण इकाई के पास इस समय बहुत सारे प्रोजेक्ट हैं। यही कारण है कि अब आरवीएनएल और राइट्स को भी रेलवे के महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट दिए जा रहे हैं। जल्द ही लंबित प्रोजेक्टों के कार्य में तेजी आएगी।
सतीश कुमार, डीआरएम