क्या है संदेशों का सच, जाने और समझें फिर करें फॉरवर्ड
फेसबुक के सहयोग से विश्वास न्यूज के दो दिवसीय फैक्ट चेकिंग जागरूकता कार्यशाला का समापन। होटल मेपल लीफ में आयोजित कार्यक्रम में वरिष्ठ नागरिकों और युवाओं को दिए गए टिप्स।
लखनऊ, जेएनएन। किसी भी चीज की अच्छाई या बुराई उसके प्रयोग पर निर्भर करती है। सोशल मीडिया भी ऐसा ही मंच है। जहां एक ओर इसने देश-दुनिया की दूरियों को खत्म कर संवाद को सुगम बनाया है। वहीं दूसरी ओर फेक न्यूज के रूप में सबसे ज्यादा अफवाहें भी यहीं फैलती हैं। जागरूकता से ही फेक न्यूज को रोका जा सकता है। इसी उद्देश्य के साथ फेसबुक के सहयोग से विश्वास न्यूज 'सच के साथी' अभियान चला रहा है। इस अभियान के तहत हजरतगंज स्थित होटल मेपल लीफ में चल रहे दो दिवसीय फैक्ट चेकिंग जागरूकता कार्यशाला का शनिवार को समापन हो गया। विश्वास न्यूज की रमा सोलंकी और रूही ने वरिष्ठ नागरिकों और युवाओं को फेक न्यूज से लडऩे के लिए 'सुपर चैंपियन' बनाया। लखनऊ के बाद जागरूकता का अगला पड़ाव कानपुर होगा।
पता लगाएं कि संदेश सच है या नहीं
फॉरवर्ड किए गए संदेशों को ध्यान से देखें। वाट्सएप पर आपको मिलने वाले संदेशों पर फॉरवर्ड का लेबल लगा होता है, जिससे आपको जानने में आसानी होती है कि आपको मिलने वाला संदेश आपके दोस्त या परिवारीजन ने लिखा है या फिर किसी अन्य व्यक्ति ने। संदेशों की जांच करके पता लगाएं कि वह संदेश सच है या नहीं।
बहकाने के लिए भी भेजे जाते हैं फोटो और वीडियो
फोटो और वीडियो पर जल्द ही यकीन न करें। फोटो, ऑडियो और वीडियो आपको बहकाने के लिए भी भेजे जाते हैं। उनमें दिखाया गया हमेशा सच नहीं होता। अगर खबर सच्ची होगी तो अवश्य ही किसी न्यूज चैनल या रेडियो पर भी दिखाई या सुनाई जाएगी, इसलिए खबर की सच्चाई का पता लगाएं। जब एक खबर कई जगह छपती है तब उसके सच होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
थोड़े अलग दिखने वाले संदेशों से रहें सावधान
आपको मिलने वाले संदेशों या वेबसाइट के लिंक में अगर गलत स्पैलिंग होती है, तो उनमें शामिल खबर झूठी होती है। इन संकेतों को देखें ताकि आप पता लगा सकें कि जानकारी सही है या नहीं।
जल्दी फैलती हैं अफवाहें
ऐसा जरूरी नहीं है कि अगर संदेश कई बार शेयर किया जाए तो वह सच हो, कई बार अफवाहें ज्यादा फैलती हैं। सिर्फ इसलिए संदेश फॉरवर्ड न करें क्योंकि मैसेज भेजने वाला आपसे बार-बार संदेश को शेयर करने के लिए कह रहा है। सोच, समझकर संदेश को फॉरवर्ड करें।
खबर के सच होने का पता लगाएं
अगर आपको यकीन न हो कि संदेश में मौजूद जानकारी सच है या झूठ तो ऐसे में तथ्यों की जांच करें। अगर आपको फिर भी यकीन न हो कि संदेश में मौजूद जानकारी सच है या झूठ तो ऐसे में एक्सपर्ट से पता करने की कोशिश करें ।
अफवाहों को फैलने से रोकें
अगर आपको किसी ने ऐसा संदेश भेजा है जो आपको लगे कि सच नहीं है तो जिसने आपको वह संदेश भेजा है उससे संदेश के सच होने का प्रमाण मांगें और अगर वह आपको संदेश के सच होने का प्रमाण न दे सके तो उन्हें ऐसे संदेश भेजने से मना करें। अगर कोई गु्रप में या कोई व्यक्ति बार-बार अफवाहें या झूठी खबरें भेजता है तो उसकी रिपोर्ट करें।
फेसबुक का अधिकृत पार्टनर है विश्वास न्यूज, ऐसे काम करती है टीम
फेसबुक न सिर्फ उसके प्लेटफॉर्म पर पोस्ट किए गए आर्टिकल को रिव्यू करता है, बल्कि उसने फोटो और वीडियो की जांच करने के लिए भी एक सक्षम टीम गठित की है। इस टीम का काम यही है कि वह फेक फोटो और वीडियो को अपने प्लेटफार्म से तुरंत हटा दे। ताकि इस तरह की फेक फोटो, वीडियो और खबर से किसी तरह की भ्रांति या अफवाह न फैले। विश्वास न्यूज फेक न्यूज के खिलाफ चल रहे इस अभियान में फेसबुक का अधिकृत पार्टनर है।
यहां जानें सच्चाई
विश्वास न्यूज के जरिए किसी भी वायरल खबर की पड़ताल के लिए contact@vishvasnews.com या वाट्सएप नंबर 9205270923 के जरिए संपर्क कर सकते हैं।