जागरण कुलपति फोरम: शैक्षिक स्वायत्तता को बनेगी राष्ट्रीय नीति
जागरण कुलपति फोरम में आज केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने शैक्षिक संस्थानों को स्वायत्तता देने के लिए राष्ट्रीय नीति बनाने की घोषणा की।
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। शैक्षिक संस्थानों को स्वायत्तता देने के लिए राष्ट्रीय नीति बनाई जाएगी। मंगलवार को यहां राजधानी लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित जागरण कुलपति फोरम का समापन करते हुए केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने यह घोषणा की।
शिक्षा में गुणवत्ता की कमी पर मंथन कर सुधार का संकल्प
जावड़ेकर ने कहा कि अच्छी संस्थाओं को ज्यादा स्वायत्तता मिलनी चाहिए और खराब संस्थाओं पर अधिक सख्ती होनी चाहिए। स्वायत्तता के लिए राष्ट्रीय स्तर पर जल्द ही नीति घोषित की जाएगी। उन्होंने कहा कि शिक्षा संस्थानों के बीच की दीवारों तोडऩी होंगी। दुनिया के बड़े संस्थानों में विद्यार्थी एक से दूसरे संस्थान में जाकर पढ़ते हैं। यह प्रक्रिया यहां भी शुरू करनी होगी। तकनीक दीवार तोड़ती है, इसलिए सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों को वाई-फाई से लैस करने का फैसला हुआ है। इस सुविधा का राज्य विश्वविद्यालयों तक विस्तार कर सभी को वाई-फाई परिसर बनाया जाएगा। इसके लिए ब्रॉडबैंड लाइन बिछाने का काम चल रहा है। जावड़ेकर ने कहा कि दुनिया की सभी बड़ी शोध परियोजनाओं का हिस्सा भारतीय मेधावी होते हैं किन्तु पेटेंट भारत के हिस्से में नहीं आते। हम देश की सर्वश्रेष्ठ मेधा को चुनौतियों भरे अवसर नहीं दे पा रहे हैं, इसलिए वे विदेश जा रहे हैं। प्रतिभा पलायन रोकने के लिए प्रधानमंत्री छात्रवृत्ति योजना शुरू की गयी है। पूरे देश से शोध प्रस्ताव मांग कर उनमें से 400 को मंजूरी दी गयी है। इन्हें सरकार 1200 करोड़ रुपये दे रही है। उद्योगों के सौ प्रस्तावों पर शोध के लिए उच्चतर अविष्कार योजना शुरू की गयी है, जिसका 25 फीसद खर्चा उद्योग जगत उठा रहा है। शोध के लिए हायर एजूकेशन फाइनेंस एजेंसी (हीफा) के माध्यम से 20 हजार करोड़ रुपये मदद का फैसला हुआ है।
शिक्षकों की कमी उच्च शिक्षा के लिए कैंसर
फोरम का उद्घाटन करते हुए उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में शिक्षकों के 45 से 50 प्रतिशत पद रिक्त होने को उच्च शिक्षा के लिए कैंसर करार दिया। मानकों को दरकिनार कर कॉलेजों को संबद्धता दिये जाने के व्यापार का जिक्र करते हुए उन्होंने दो टूक लहजे में कहा कि अक्सर नये महाविद्यालय की स्थापना का मकसद शिक्षा में सुधार नहीं बल्कि अनाप-शनाप तरीके से कमाई गई रकम को ठिकाने लगाना होता है। उच्च शिक्षा की चुनौतियों का साफगोई से जिक्र करते हुए उन्होंने सवाल किया कि जब छात्रों को पढ़ाने के लिए योग्य शिक्षक नहीं होंगे तो उच्च शिक्षा की बदहाली कैसे सुधरेगी। राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) से उच्च शिक्षण संस्थाओं के मूल्यांकन की दयनीय स्थिति को उन्होंने आंकड़ों के जरिये उजागर किया। जोर-जुगाड़ से संबद्धता हासिल करने की बढ़ती प्रवृत्ति का उल्लेख करते हुए नसीहत दी कि संबद्धता व्यापार नहीं बल्कि मिशन है। कुलपतियों को इन बीमारियों से निपटना होगा। ज्ञान-विज्ञान से लैस आतंकी युवाओं का जिक्र करते हुए राज्यपाल ने कहा कि भारत का युवा मानव संसाधन हमारी पूंजी है। इन युवाओं को सही दिशा देना ही शिक्षा की सबसे बड़ी चुनौती है वर्ना यह पूंजी हमारे लिए बोझ बन जाएगी। उच्च शिक्षा का विस्तार महिला सशक्तीकरण व पिछड़े क्षेत्रों के विकास की दृष्टि से हो। राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपतियों का कार्यकाल पांच साल करने का समर्थन करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय ई-गवर्नेंस अपनाएं। वहां समय से कॉपी नहीं जंचतीं और परिणाम देर से घोषित होते हैं। उन्होंने शोध व नवाचार को उच्च शिक्षा की सबसे कमजोर कड़ी करार देते हुए कहा कि शिक्षा पर जीडीपी का छह फीसद भी नहीं खर्च हो रहा है।