लखनऊ मेट्रो की रफ्तार धीमी कर देगा यूपीएसआइडीसी
लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की वरीयता में शुमार लखनऊ मेट्रो रेल प्रोजेक्ट को धन देने से उत्त
लखनऊ। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की वरीयता में शुमार लखनऊ मेट्रो रेल प्रोजेक्ट को धन देने से उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम (यूपीएसआइडीसी) प्रबंधन ने कदम पीछे खींच लिए हैं। यूपीएसआइडीसी के इस कदम से इस प्रोजेक्ट की रफ्तार धीमी हो सकती है।
किसी भी कंपनी में पूंजी के रूप में अंशदान देने पर दस साल पहले लगाई गई रोक इसमें बाधा बन गई है। धन देने पर अभी कैबिनेट ने भी स्वीकृति नहीं दी है। ऐसे में रोक को हटाए बिना 50 करोड़ रुपये देना प्रबंधन के लिए संभव नहीं हो पा रहा है। अब पूरे प्रकरण को शासन को भेजा गया है। वहीं गाजियाबाद में मेट्रो रेल परियोजना के लिए तीन करोड़ रुपये देने का विरोध शुरू हो गया है। कर्मचारी संगठनों ने इसके विरुद्ध कोर्ट जाने का निर्णय किया है।
गाजियाबाद और लखनऊ में मेट्रो रेल परियोजनाओं के लिए कई निगम पूंजी के रूप में अंशदान दे रहे हैं। गाजियाबाद परियोजना के लिए निगमों और प्राधिकरणों से धन लेने के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव पास किया गया है। ऐसे में यूपीएसआइडीसी को इस परियोजना के लिए 73 करोड़ 20 लाख रुपये अंशदान देना है। तीन करोड़ रुपये बीते माह दे दिया गया। इसका कर्मचारियों ने विरोध शुरू कर दिया है। लखनऊ की परियोजना के लिए अभी अंशदान देने का कैबिनेट से फैसला नहीं हुआ है, लेकिन प्रबंधन ने 50 करोड़ रुपये देने पर हामी भर ली थी। धन देने की बारी आई तो उस शासनादेश का ख्याल आया जिसमें किसी भी कंपनी में पूंजी के रूप में अंशदान देने पर रोक है। अब शासन को पत्र लिखकर शासनादेश के बारे में बताया गया।
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कैबिनेट से अभी नहीं हुआ है फैसला
एमडी, यूपीएसआइडीसी मनोज सिंह ने बताया कि लखनऊ मेट्रो रेल के लिए धन देने पर अभी कैबिनेट से कोई फैसला नहीं हुआ है। इस कारण अभी धन नहीं दिया गया। जहां तक गाजियाबाद प्रोजेक्ट का सवाल है तो उसके लिए धन देना गलत नहीं है।
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शासनादेश का उल्लंघन
यूपीएसआइडीसी कर्मचारी संयुक्त संघ के महामंत्री अरशद हलीम ने बताया कि गाजियाबाद मेट्रो रेल के लिए शासनादेश के विरुद्ध धन दिया गया है। इसके विरुद्ध कोर्ट की शरण लेंगे। यूपीएसआइडीसी के धन की बर्बादी नहीं होने देंगे।