CAG: परिवहन विभाग ने भी लगाया शासन को 596 करोड़ का चूना
सीएजी की रिपोर्ट परिवहन विभाग की अक्षमता से पर्दा उठाती है। रिपोर्ट बताती है कि परिवहन विभाग की कारगुजारियों के कारण शासन 596.77 करोड़ रुपये के राजस्व से वंचित रहा।
लखनऊ (जेेएनएन)। विधानमंडल के दोनों सदनों में पेश की गई भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट परिवहन विभाग की अक्षमता से भी पर्दा उठाती है। रिपोर्ट बताती है कि परिवहन विभाग की कारगुजारियों के कारण शासन 596.77 करोड़ रुपये के राजस्व से वंचित रहा। परिवहन निगम की कोई भी बस प्रदेश के किसी भी स्थान पर तब तक संचालित नहीं हो सकती है जब तक कि उप्र मोटर यान कराधान अधिनियम और नियमावली के तहत उसका अतिरिक्त कर न जमा हो गया हो।
रिपोर्ट के मुताबिक निगम की 44,674 बसों पर लगातार कम अतिरिक्त कर लगाये जाने के कारण अप्रैल 2011 से मार्च 2016 तक वसूली के लिए 185.91 करोड़ रुपये अतिरिक्त कर बकाया हो गया था। इसके अलावा 174.42 करोड़ रुपये अर्थदंड भी वसूला जाना था लेकिन, दस साल बीतने के बाद भी विभाग ने परिवहन निगम के तहत संचालित इन बसों से अतिरिक्त कर और अर्थदंड वसूलने की कोई कोशिश नहीं की। इससे शासन को 360.66 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
नवंबर 2009 से मार्च 2016 के बीच नगर निगम क्षेत्र से बाहर संचालित पायी गईं 721 जेएनएनयूआरएम बसों से 25.77 करोड़ रुपये अतिरिक्त कर वसूलने के लिए परिवहन विभाग ने कोई कार्यवाही नहीं की। मेरठ संभागीय परिवहन कार्यालय के अंतर्गत फरवरी 2009 से सितंबर 2015 के दौरान नगरीय परिवहन सेवाएं लिमिटेड के तहत नगर निगम क्षेत्र से बाहर संचालित पायी गईं 84 जेएनएनयूआरएम बसों से 9.92 करोड़ रुपये अतिरिक्त कर नहीं वसूला गया।
हल्के चार पहिया वाहनों व स्कूल कैब से 26.79 करोड़ का नुकसान
रिपोर्ट के मुताबिक अप्रैल 2011 से मार्च 2016 तक पंजीकृत 25,535 चार पहिया हल्के वाहनों पर निर्धारित दर की बजाय एक बारगी कर लगाने से 24.73 करोड़ रुपये कम कर लगाया गया। इसी तरह 13 संभागीय/सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी कार्यालयों के अभिलेखों की जांच में पाया गया कि नवंबर 2009 से अक्टूबर 2015 तक पंजीकृत 1057 स्कूल मैक्सी कैब पर निर्धारित दर की बजाय एक बारगी कर लगाने से 2.06 करोड़ रुपये कम कर लगा। इससे कुल 26.79 करोड़ रुपये राजस्व की क्षति हुई।
9942 वाहन बिना फिटनेस प्रमाणपत्र के संचालित
रिपोर्ट के अनुसार देय कर का भुगतान स्वीकार करते समय वाहनों के वैध फिटनेस प्रमाणपत्र की पड़ताल करने की विभाग में कोई प्रणाली नहीं है। विभाग के चुनिंदा कार्यालयों के अभिलेखों की जांच में पाया गया कि फरवरी 2014 से मार्च 2016 के बीच 9,942 वाहन बिना वैध फिटनेस प्रमाणपत्र के संचालित थे जिन पर फिटनेस शुल्क और अर्थदंड समेत कुल 4.56 करोड़ रुपये नहीं वसूला गया।
दुर्घटना राहत निधि स्थापित नहीं
परिवहन विभाग की ओर से उप्र सड़क परिवहन दुर्घटना राहत निधि की स्थापना न किये जाने के कारण अप्रैल 2012 से मार्च 2016 के बीच दुर्घटना पीडि़तों के लिए 109.06 करोड़ रुपये उसमें जमा नहीं किये जा सके।
ओवरलोडिंग पर नहीं लगाई पेनाल्टी
जुलाई 2014 से मार्च 2016 की अवधि के दौरान परिवहन विभाग ने ओवरलोडिंग करने पर विभिन्न श्रेणियों के 839 वाहनों को बंद किया था लेकिन इन मामलों में कैरिज बाई रोड अधिनियम के तहत 2.58 करोड़ रुपये की पेनाल्टी नहीं लगायी गई।
बंध पत्रों का निरीक्षण न होने से 162 करोड़ की क्षति
सीएजी रिपोर्ट यह भी बताती है कि 43,564.38 करोड़ रुपये मूल्य के 12,41,085 वाहन बैंकों में बंधक थे। परिवहन विभाग ने स्टांप व निबंधन विभाग से वास्तविक स्टांप शुल्क के निर्धारण के लिए बंध पत्रों का निरीक्षण नहीं कराया। इससे शासन 162.7 करोड़ रुपये की राजस्व प्राप्ति से वंचित रहा।
प्रशमन शुल्क की वसूली नहीं
अक्टूबर 2012 से मार्च 2016 तक ठेका और मंजिली वाहनों पर परमिट शर्तों के उल्लंघन पर 4.76 करोड़ रुपये प्रशमन शुल्क की वसूली नहीं की गई।