भूकंप से भवनों के दरकने पर चेती उत्तर प्रदेश सरकार
उत्तर प्रदेश में भूकंप से भवनों के दरकने से हुए जान-माल के नुकसान पर चेती सरकार अब भूकंपरोधी भवनों के निर्माण में मनमानी पर कड़ाई से अंकुश लगाएगी। प्रदेश सरकार, भूकंप जैसी आपदा से सुरक्षित भवन के निर्माण के लिए नेशनल बिल्डिंग कोड (एनबीसी) के प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन
लखनऊ (अजय जायसवाल)। उत्तर प्रदेश में भूकंप से भवनों के दरकने से हुए जान-माल के नुकसान पर चेती सरकार अब भूकंपरोधी भवनों के निर्माण में मनमानी पर कड़ाई से अंकुश लगाएगी। प्रदेश सरकार, भूकंप जैसी आपदा से सुरक्षित भवन के निर्माण के लिए नेशनल बिल्डिंग कोड (एनबीसी) के प्रावधानों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करेगी। जरूरत पडऩे पर सरकार भवन निर्माण संबंधी अधिनियम में संशोधन कर नए सिरे से कानून भी बनाएगी।
दरअसल, सूबे में सुरक्षित भवन निर्माण के लिए सरकार ने सात वर्ष पहले 2008 में एनबीसी को लागू करने का फैसला किया था। कोड को बिल्डिंग बाइलॉज में शामिल कर विकास प्राधिकरणों व आवास विकास परिषद को 12 मीटर से ऊंचे तथा 500 वर्गमीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले भवनों के निर्माण में उसके प्रावधानों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी दी गई लेकिन बड़ी संख्या में बहुमंजिला भवन या तो बिना मानचित्र के ही बन रहे हैं या फिर अभियंताओं की मिलीभगत से स्वीकृत मानचित्र के विपरीत बनाए जा रहे हैं। जिम्मेदार अभियंता प्रवर्तन कार्य में हीला-हवाली से ऐसे भवनों के निर्माण में कोड के प्रावधानों का अनुपालन ही सुनिश्चित नहीं किया जा रहा है।
गौरतलब है भूकंप, आग, तूफान व बाढ़ जैसी आपदा से सुरक्षित भवन निर्माण को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार के स्तर से नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ इंडिया-2005 में तैयार कराया गया था। 11 भाग में तैयार कोड में कुल 26 चैप्टर हैं। कोड के प्रावधानों में भूकंपरोधी तकनीक से निर्माण करना, भवन को आग एवं बाढ़ से सुरक्षित रखने आदि की व्यवस्था दी गई है।
प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन सदाकांत का कहना है कि सरकार भूकंप जैसी आपदा से जान-माल की सुरक्षा के लिए एनबीसी के प्रावधानों के साथ ही अन्य संबंधित आदेशों का भवन निर्माण में कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करेगी। शनिवार व रविवार को आए भूकंप को देखते हुए अब भूकंपरोधी भवन निर्माण के संबंध में अब तक जारी सभी आदेशों का अध्ययन करने के लिए कमेटी बनाई जाएगी। जरूरत पड़ी तो सरकार भवन निर्माण संबंधी अधिनियम में संशोधन कर नए सिरे से कानून भी बनाएगी। सदाकांत ने कहा कि इस संबंध में वह जल्द ही विभागीय अधिकारियों के साथ बैठक करेंगे। प्रमुख सचिव ने नागरिकों का भी आह्वïान किया है कि वे भी बिल्डरों से फ्लैट खरीदते समय देखें कि भवन निर्माण में भूकंपरोधी प्रावधानों का पालन किया गया है या नहीं।
आरबी स्लैब पर लगे प्रतिबंध
प्रोफेशनल अभियंता संघ (सिविल) के सलाहकार व पूर्व अध्यक्ष अनिल श्रीवास्तव का कहना है कि नेशनल बिल्डिंग कोड को ठीक ढंग से क्रियान्वयन होने पर प्राकृतिक आपदा के वक्त हानि को काफी हद तक कम किया जा सकता है। सरकार को आरबी (ईंट) स्लैब पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा देना चाहिए क्योंकि भूकंप के झटके आने पर इससे कहीं ज्यादा नुकसान की आशंका रहती है। कॉलम-बीम पर आरसीसी स्लैब कहीं अधिक सुरक्षित है। सुनील के अनुसार आरबी से आरसीसी स्लैब के निर्माण की लागत लगभग 10 फीसद ही ज्यादा होती है।
निकाय क्षेत्र में भी भूकंपरोधी भवन बनाने के हैं निर्देश
छोटे नगरों में भी भूकंपरोधी भवनों का निर्माण सुनिश्चित करने के निर्देश राज्य सरकार ने दे रखे हैं लेकिन हुआ कुछ नहीं है। केंद्र सरकार के निकाय क्षेत्र में भी भूकंपरोधी भवनों का निर्माण सुनिश्चित करने की अपेक्षा करने पर राज्य सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को आदेश जारी कर निकाय क्षेत्र में भूकंपरोधी भवन निर्माण के लिए उनके मानचित्रों की स्वीकृति में माडल बिल्डिंग बॉइलाज के तहत स्ट्रक्चरल सेफ्टी के मार्गदर्शक सिद्धातों का पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दे रखे हैं।
चिह्नित 2600 भवनों पर भी नहीं हुई कार्रवाई
वर्ष 2001 में गुजरात के भुज में आए जबरदस्त भूकंप के बाद उत्तर प्रदेश में कराए गए सर्वे में लगभग 2600 बहुमंजिला भवन ऐसे चिन्हित किए गए थे जिन्हें भूकंप से खतरा था। वैसे तो राज्य सरकार ने इन भवनों को सील करने के निर्देश दिए थे लेकिन ज्यादातर मामलों में सिर्फ कागजों पर ही कार्रवाई हुई थी। ऐसे में भूकंप के तेज झटके आने पर आज भी उन भवनों के ढहने की आशंका से बड़ी संख्या में जान व माल की तबाही का खतरा मंडरा रहा है। भूकंप के झटकों से कम से कम जान-माल का नुकसान हो इसके लिए राज्य में 12 मीटर से ऊंचे तथा 500 वर्गमीटर से अधिक क्षेत्रफल वाले भवनों में भूकंपरोधी व्यवस्था करना अनिवार्य है। ऐसे में लगभग दस वर्ष पहले कराए गए सर्वे में 2564 भवनों में भूकंपरोधी व्यवस्था नहीं पायी गयी थी। सर्वे में सर्वाधिक 637 भवन आगरा तथा 415 भवन गाजियाबाद में पाए गए थे। कानपुर में 175 जबकि लखनऊ में165 भवन, मेरठ में 121, मुरादाबाद में 197, अलीगढ़ में 145, मथुरा-वृंदावन में 230, वाराणसी में 101, झांसी में 113 तथा फीरोजाबाद में 187 पाए गए थे।