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नये गुनाह सिखा रही बेरोजगारी

लखनऊ (आनन्द राय)। कलंकित होते रिश्तों और स्वार्थ की पराकाष्ठा की यह बानगी है। आजमगढ़ ि

By Edited By: Published: Sat, 01 Nov 2014 10:07 AM (IST)Updated: Sat, 01 Nov 2014 10:07 AM (IST)
नये गुनाह सिखा रही बेरोजगारी

लखनऊ (आनन्द राय)। कलंकित होते रिश्तों और स्वार्थ की पराकाष्ठा की यह बानगी है। आजमगढ़ जिले के जीयनपुर में दो सगे भाइयों ने अपने लेखपाल पिता हरदेव की हत्या कर दी। तफ्तीश में पता चला कि उनके बेटों ने ही पिता को मार डाला ताकि उनकी जगह नौकरी व फंड की रकम पा सकें। हरदेव इसी 31 अक्टूबर को रिटायर होने वाले थे।

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नौकरी के लालच में पिता की हत्या नई वारदात नहीं है लेकिन इस घटना की पीछे निहित उद्देश्यों ने व्यवस्था से जुड़े कई सवाल खड़े किए हैं जिसके मूल में बेरोजगारी है। बेरोजगारी नये गुनाहों की ओर ले जा रही है जहां रिश्तों की बुनियाद के भी कोई अर्थ नहीं रह गए हैं। मानवता को झकझोर देने वाली यह कलंकित कथा ने पुलिस अफसरों के साथ समाजशास्त्रियों और मनोवैज्ञानिकों को भी बेचैन कर दिया है। पूर्व पुलिस महानिदेशक श्रीराम अरुण कहते हैं बेरोजगारी के चलते अपराध का चलन तो बढ़ा लेकिन नाते, रिश्ते और खून सब बेकार हो जायेंगे, ऐसा नहीं सोचा था। यह व्यवस्था पर प्रश्नचिन्ह है। इसके संकेत अच्छे नहीं हैं।

लूट और बड़े अपराधों में पिछले कुछ वर्षो में पकड़े गए अभियुक्तों पर नजर डालें तो ज्यादातर इंजीनियरिंग और प्रबंधन के छात्र रहे हैं जो नौकरी न मिलने पर गुनाह के दलदल में उतर गए और गिरोह बनाकर लूटपाट कर रहे हैं। लेकिन नौकरी के लालच में पिता की हत्या बेरोजगारी और भविष्य के प्रति असुरक्षा की ओर इशारा करती है। यद्यपि समाजशास्त्री इससे इत्तफाक नहीं रखते। लखनऊ विश्वविद्यालय के समाजशास्त्र के प्रोफेसर राजेश मिश्र इसके तार रजवाड़ों और मुगल सल्तनत से जोड़ते हैं जब धन, वैभव और सत्ता के लिए पिता की हत्या से लेकर उनके खिलाफ साजिशें होती थी। वह कहते हैं कि यह विकृति अभी भी मौजूद है और छोटे-छोटे स्वार्थो में परिलक्षित होती है।

आजमगढ़ के दोनों भाइयों ने भी पिता की सत्ता हासिल करने की कोशिश की। समाजशास्त्रियों और मनोवैज्ञानिकों की दृष्टि में यह प्रेम और अहिंसा दोनों के लिए खतरा है। मनोवैज्ञानिक डा. पीएस त्रिपाठी कहते हैं कि यह मनोविकृति भविष्य की असुरक्षा से उपज रही है और यह एक खतरनाक संदेश है।

रिश्तों पर खून के छींटों की बानगी

मार्च 2014 : बुलंदशहर के शांतिनगर में विद्युतकर्मी सूरज की हत्या नौकरी की लालच में उसके बेटे ने की। पुलिस ने बेटे पंकज को गिरफ्तार किया।

दिसंबर 2012 : रायबरेली जिले के हरचंदपुर के रेलकर्मी कालीचरण की हत्या ड्यूटी के दौरान हुई। पुलिस के अनुसार एक साल बाद सेवानिवृत्त हो रहे कालीचरण की जगह नौकरी पाने के लिए उसके बेटे कंधई ने यह हत्या कराई।

अक्टूबर 2007 : जिस अयोध्या में पिता के वचन की लाज रखने के लिए भगवान राम ने 14 साल तक वनवास झेला उसी जिले में पीडब्ल्यूडी की नौकरी से जल्द ही सेवानिवृत्त होने वाले पिता संतराम की हत्या पुत्र राजेश ने नौकरी के लालच में कर दी।


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